Elections 2019: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के दूसरे नेता भले 42 में से कम से कम 23 सीटें जीतने के दावे करें, पश्चिम बंगाल में भाजपा की राह आसान नहीं है। पहले तो उसे तमाम सीटों पर उम्मीदवार तलाशने में भी भारी मशक्कत करनी पड़ी। पार्टी का प्रदेश नेतृत्व पहले तो दावे कर रहा था कि एक-एक सीट के लिए 60 से 70 दावेदार मैदान में हैं, लेकिन उसका यह दावा हवाई ही साबित हुआ। तृणमूल कांग्रेस और माकपा से आने वाले नेता नहीं होते तो शायद पार्टी को ढंग के एक दर्जन भी उम्मीदवार नहीं मिलते। लेकिन इन तमाम दलबदलुओं को टिकट देने से पार्टी को जमीनी स्तर पर बगावत और असंतोष का भी सामना करना पड़ रहा है। पहले दौर में जिन दो सीटों-अलीपुरदुआर और कूचबिहार में मतदान होना है वहां भी भाजपा के उम्मीदवार दूसरे दलों से ही आए हैं।
टिकटों के बंटवारे पर लगातार बढ़ते असंतोष से पश्चिम बंगाल की 23 सीटें जीतने की राह पथरीली साबित हो सकती है। पार्टी ने अबकी पुराने नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दलबदलुओं और नए चेहरों पर भरोसा जताया है। राज्य की 42 सीटों के लिए पार्टी की ओर से जारी 40 उम्मीदवारों की सूची में 10 दलबदलू हैं और 20 नए चेहरे।

इस मुद्दे पर बढ़ते असंतोष के कारण कई नेताओं ने या तो पार्टी से इस्तीफा दे दिया है या फिर चुनाव अभियान के दौरान हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए हैं। बंगाल में हाल के वर्षों में पार्टी का प्रदर्शन भले निखरा हो और उसने कांग्रेस और माकपा के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए उनको हाशिए पर धकेल दिया हो, लेकिन वह अब तक तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध तो दूर खरोंच तक नहीं लगा सकी है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि टिकटों के बंटवारे पर उभरा असंतोष अबकी पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। उस नेता ने कहा कि पार्टी को यह बात समझनी चाहिए कि जमीनी स्तर पर हमारा संगठन तृणमूल कांग्रेस की तरह मजबूत नहीं है। ऐसे में जीत के लिए स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं पर ही निर्भर रहना होगा। लेकिन असंतोष की स्थिति में क्या ऐसे नेता मन लगा कर पार्टी का प्रचार करेंगे? भाजपा के मालदा जिला अध्यक्ष संजीत मिश्र कहते हैं कि जिले की दोनों सीटें दलबदलुओं को मिलने से स्थानीय नेताओं में काफी नाराजगी है। जिस तरीके से सीटों का आवंटन किया गया वह अनुचित है। ध्यान रहे कि तीन दशक से भाजपा में रहे पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजकमल पाठक ने टिकट नहीं मिलने के विरोध में हाल में इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने नए चेहरों और दलबदलुओं के लिए जगह बनाने की खातिर प्रदेश सचिव रीतेश तिवारी, दो महासचिवों-राजू बनर्जी और विश्वप्रिय रायचौधरी और अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख अली हुसैन को भी टिकट नहीं दिया है।

अब पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी है। कूचबिहार जिले में तृणमूल कांग्रेस के एक युवा नेता निशीथ प्रामाणिक को टिकट देने के मुद्दे पर नेताओं में भारी नाराजगी है। बारासात और बशीरहाट इलाकों में तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने बाकायदा पोस्टर लगा कर लोगों से बाहरी उम्मीगदवारों को वोट नहीं देने की अपील की है।