हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए 9 नवंबर को हुए मतदान के एक माह बाद मतगणना सोमवार (18 दिसंबर) की सुबह 8 बजे से शुरू होगी। जहां एक्जिट पोल (मत सर्वेक्षण) में भाजपा के बहुमत से सत्ता में आने के संकेत दिए गए हैं, वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है, क्योंकि चुनाव के समय ‘किसी भी पार्टी के पक्ष में स्पष्ट लहर नहीं दिखी।” दिलचस्प बात यह है कि यह राज्य वर्ष 1985 से वैकिल्पक रूप से कभी कांग्रेस तो कभी भारतीय जनता पार्टी को चुनता आया है। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने 36 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 26 सीटों से संतोष करना पड़ा, वहीं छह सीटें निर्दलीय नेताओं के हाथ लगीं। साल 2012 के चुनाव में अपमानजनक हार का सामने करने के बाद भाजपा राज्य में वापसी करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इस पार्टी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियां कीं। वहीं, कांग्रेस को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में 2012 की जीत दोहराने की उम्मीद है।

धर्मशाला सीट पर भाजपा उम्‍मीदवार किशन चंद और कांग्रेस के सुधीर शर्मा के बीच कड़ी टक्‍कर होगी। शर्मा वर्तमान में विधायक हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के पवन कुमार भी इस सीट पर ताल ठोंक रहे हैं। 2012 में शर्मा भाजपा के किशन कपूर से 6,000 वोटों के अंतर से जीते थे। 2007 में, भाजपा के किशन कपूर ने जीत दर्ज की थी।

मंडी विधानसभा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्‍प है। यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं, जो 9 नवंबर को मतदान से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। वह राज्‍य की कांग्रेस सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थे। अब उनका मुकाबला कांग्रेस की चम्‍पा ठाकुर से है, जो कि राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और पार्टी के दिग्‍गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी हैं।