लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) खेमे में खटपट के संकेत मिलने लगे हैं। संसद के बजट सत्र को लेकर गुरुवार (31 जनवरी, 2019) को नई दिल्ली में एनडीए की बैठक हुई, जिससे सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने कन्नी काट ली। अकाली दल के सांसद इस बाबत मीडिया से बोले कि अभी कुछ मसलों को सुलझाने की जरूरत है। बता दें कि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सबसे पुरानी सहयोगी इकाई है। अकाली दल के कुछ सांसदों व नेताओं ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया और जमकर नाराजगी जताई।

अकाली दल के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा, “संयोग है कि मुझे बैठक के समय ही एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेना था। लेकिन हां, कुछ मसले अभी सुलझना बाकी हैं। मुझे यकीन है कि उन्हें आपसी सहमति से हल कर लिया जाएगा।” वहीं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर का कहना था, “ऐसा कुछ नहीं था। वह (चंदूमाजरा) सर्वदलीय बैठक में आए थे। उन्हें कुछ काम से जाना था, लिहाजा वह मुझे बता कर गए थे।”

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राजधानी में हुई इस बैठक में पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय मामलों के मंत्री नरेंद्र तोमर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद व अन्य उपस्थित रहे। (फोटोः पीटीआई)

सहयोगी दल के मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया, “बीजेपी सरकार जिस तरह लगातार गुरुद्वारा मामलों में दखल दे रही है, उस पर मुझे सख्त आपत्ति है। खासकर हजूर साहिब और नांदेड़ साहिब चुनाव के दौरान सरकारी प्रधान भेज दिया गया था। हम इसका हल चाहते हैं। भारत और विश्व भर के सिखों में इस चीज को लेकर बड़े स्तर पर नाराजगी फैली है।”

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में अकाली दल के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल के हवाले से कहा, “संसद के बजट सत्र को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक में मैं शामिल नहीं हुआ।” उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सिखों के अंदरूनी मामलों में कथित तौर पर दखल दे रही है, जिसमें गुरुद्वारों का प्रबंधन भी शामिल है।

बकौल गुजराल, “अल्पसंख्यकों की पार्टी के नाते बीजेपी में कुछ ‘मोटर माउथ्स’ (विवादित बयान देने वाले) समय दर समय ऐसी टिप्पणियां करते रहते हैं, जिनसे अल्पसंख्यकों के बीच डर का माहौल पनप जाता है। हम ऐसे बयानों पर सख्त आपत्ति जताते हैं।”