प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान देश में रोजगार के अवसर गिनाए। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के शासनकाल में पिछले 55 माह में सरकार की नीतियों, आधारभूत ढांचे के विकास, परिवहन, पर्यटन क्षेत्र के विस्तार एवं ग्रामीण क्षेत्रों में तीव्र विकास कार्यो के कारण संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ है। पीएम मोदी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए अपने दावे को सही बताने की कोशिश की। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी पड़ताल की गई है।
पीएम मोदी ने कहा, “सितंबर 2017 से लेकर नवंबर 2018 तक 15 महीने में लगभग 1 करोड़ 80 लाख लोगों ने पहली बार प्रोविडेंट फंड (पीएफ) का पैसा कटाना शुरू किया। इनमें 64 प्रतिशत लोग वैसे हैं, जिनकी उम्र 28 साल से कम है। मार्च 2014 में 65 लाख लोगों को नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में रजिस्टर किया गया था। पिछले साल अक्टूबर में यह संख्या बढ़कर 1 करोड़ 20 लाख हो गई।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह दावा किया कि नई नौकरियां तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने अपने दावे को सही साबित करने के लिए ईपीएफओ का आंकड़ा लिया। पीएम के आंकड़े के मुताबिक 1 करोड़ 15 लाख लोगों को नई नौकरी मिली।
पीएम मोदी के दावों की पड़ताल की जाए तो यह आंकड़ों की बाजीगरी प्रतीत हो रही है। न्यूज 24 की रिपोर्ट के अनुसार, पीएफ में रकम जमा करवाने के पीछे अन्य वजह भी हो सकती है। इसमें पहली वजह यह हो सकती है कि मोदी सरकार के आने के बाद पीएफ के नियमों में कई बदलाव हुए हैं। ऐसा ही एक नया नियम है पीएम रोजगार प्रोत्साहन योजना, जिसके अंतर्गत नियोक्ता को पीएफ में छूट दी जाती है। नया करोबार शुरू करने वाले व्यक्ति के श्रमिको के पीएफ में नियोक्ता का 12 फीसद योगदान पहले 3 साल तक सरकार देती है। इस नियम की वजह से देश में पीएफ के नए खातों में वृद्धि देखी जा रही है। नया कारोबार शुरू करने वाले कारोबारी अपने कर्मचारियों को पीएफ देने के लिए प्रेरित हुए।
पीएफ अकाउंट बढ़ने की एक और वजह भी है। 20 कर्मचारी होने पर कारोबारी को पीएफ देना जरूरी है। अगर पहले किसी कंपनी में 19 कर्मचारी थे और एक नया कर्मचारी आने के बाद उनकी संख्या 20 हो गई तो ऐसी स्थिति में कारोबारी को सभी कर्मचारियों को पीएफ देना पड़ता है। यूं कहें तो नया रोजगार एक व्यक्ति को मिला और पीएफ खाताधारकों की संख्या 20 गुना बढ़ गई। इसके साथ ही पीएफ अकाउंट बढ़ने के पीछे नोटबंदी और जीएसटी भी महत्वपूर्ण कारक हैं। जीएसटी और नोटबंदी के बाद कई पुरानी कंपनियां ईपीएफओ रजिस्ट्रेशन के लिए मजबूर हो गई। इसके बाद पुराने कर्मचारियों का भी अब पीएफ अकाउंट खुल गया है।