भारतीय जनता पार्टी में बगावत का झंडा बुलंद कर भाजपा से इस्तीफा देने वालीं सांसद सावित्री बाई फुले ने गुरुवार (17 जनवरी) को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की है। इसके बाद माना जा रहा है कि फुले राज्य में गठबंधन की तरफ से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी हो सकती हैं। हालांकि, पूछे जाने पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनका मकसद गठबंधन को मजबूत करना है। बता दें कि सावित्री बाई फुले ने पिछले महीने (6 दिसंबर) भाजपा पर दलितों की उपेक्षा करने समेत मोदी सरकार पर हरेक मोर्चे पर नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उन्होंने तब कहा था कि वो सांसदी से इस्तीफा नहीं देंगी और अपना कार्यकाल पूरा करेंगी।
बहराइच की सांसद फुले ने पीटीआई से कहा, “मैं सिर्फ यहां गठबंधन की मजबूती पर चर्चा करने के लिए आई थी। अगर कुछ बात कंक्रीट बनती है तो मैं आपको सूचित करूंगी।” सपा-बसपा गठबंधन और 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने के एलान के बाद फुले की मुलाकात को अहम माना जा रहा है। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी कहा है कि सावित्रा बाई ने अखिलेश यादव से करीब 15 मिनट तक बातचीत की है।
एक दिन पहले ही राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि जयंत और अखिलेश की मुलाकात रालोद को सीटें बढ़ाने पर केंद्रित था। चर्चा इस बात की भी है कि अखिलेश ने तीन सीटों पर सहमति जता दी है लेकिन रालोद की मांग चार सीटों पर चिकी हुई है। वैसे जयंत चौधरी ने स्पष्ट कर दिया था कि वो हर हाल में मजबूत गठबंधन चाहते हैं। सपा-बसपा ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से दो रालोद के लिए छोड़ी थीं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें रालोद के लिए सपा-बसपा छोड़ सकती हैं। हालांकि, रालोद अमरोहा सीट की भी मांग कर रहा है, जबकि कैराना सपा को वापस कर रहा है।