Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार के मौजूदा पांच सालों के कार्यकाल में देश के आर्थिक कारकों में कई बदलाव हुए। मसलन 2014 से 2019 के बीच कच्चा तेल 20 फीसदी सस्ता हुआ, पर पेट्रोल मौजूदा समय में महंगा है। वहीं, मोबाइल इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल 3.3 एमबी से बढ़कर 8.3 एमबी पहुंच गया। साथ ही पिछले पांच सालों में रियल पर कैपिटा इनकम ग्रोथ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) – 2 के कार्यकाल से अधिक रही, क्योंकि 2014 के बाद महंगाई दर में लगातार गिरावट आई। हालांकि, नौकरियों के सृजन (खासकर ग्रामीण क्षेत्र) में 2016 के बाद गिरावट दिखी।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के मध्य तक पेट्रोल 71.56 रुपए प्रति लीटर था। फिलहाल यह 72.24 रुपए प्रति लीटर है, जबकि 2014 की तुलना में कच्चा तेल 20 फीसदी सस्ता है। एक डॉलर तब 59.3 रुपए का था, पर अब यह आंकड़ा 70.6 रुपए है। एक्सपोर्ट्स पर नजर डालें तो 2014 में यह अप्रैल से जनवरी के बीच 264 बिलियन डॉलर था। पर आंकड़ों की मानें तो 2019 में यह 270 बिलयन डॉलर है। राजकोषीय घाटा (केंद्र + राज्य का) तब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.71 प्रतिशत था। फिलहाल यह 5.80 फीसदी है।

कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में तब उस समय के हालात को लेकर 89.6 फीसदी लोगों को यकीन था, पर 2019 में यह आंकड़ा थोड़ा गिरकर 96.7 प्रतिशत पर आ पहुंचा। वहीं, भविष्य की स्थितियों को लेकर उम्मीद जताने वाले कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में तब नंबर 117.1 फीसदी था, मगर अभी यह 128.9 प्रतिशत है।

यह बदलाव सब्जियों के दाम (दिल्ली) में भी हुआ। आलू 2014 में 25 रुपए किलो था, जब कि फिलहाल यह 15 रुपए किलो है। टमाटर तब 15 रुपए किलो था, लेकिन फिलहाल इसकी कीमत 34 रुपए किलो हो गई है। वहीं, प्याज उस वक्त 23 रुपए किलो था, मगर मंडियों में यह 20 रुपए प्रति किलो में मिल रहा है।

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मोदी सरकार के कार्यकाल में लोगों के बीच शौचालयों को लेकर भी जागरूकता बढ़ी। यही कारण है कि 2019 में देश के 98 फीसदी लोगों के घरों में टॉयलेट हैं, जबकि 2014 के मध्य में केवल 38 फीसदी लोगों के घरों में शौचालय था।

घेरलू एयलाइन्स में भी सफर करने वाले इन पांच सालों में लगभग दोगुणे हो गए। आंकड़ों के अनुसार, तब 6.7 करोड़ लोग हवाई यात्रा करते थे। मौजूदा समय में यह संख्या 13.9 करोड़ पहुंच चुकी है। हालांकि, वायु प्रदूषण पहले के मुकाबले बढ़ा। 2014 में भारत दुनिया में आठवां सबसे प्रदूषित देश था, पर 2019 में वह इस सूची में तीसरे पायदान पर आ पहुंचा।

टेलीकॉम रेग्युलेट्री अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के अनुसार, तब 33 रुपए में एक जीबी मोबाइल इंटरनेट डेटा मिलता था, मगर 2019 में यह 10.9 रुपए प्रति जीबी हो गया। वहीं, 2014 में औसतन 33 एमबी मोबाइल डेटा का लोग इस्तेमाल कर लेते थे, पर अब वे 8.3 जीबी यूज करते हैं।

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