एक वोट की कीमत सीपी जोशी से पूछो साहेब! जी हां,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी हर एक वोट की अहमियत बखूबी जानते हैं। बचपन में स्कूल का चुनाव एक वोट से जीतने वाले सीपी जोशी नाथद्वारा सीट पर एक वोट से विधायक का चुनाव हार गए थे। हाल ही में साध्वी ऋतंभरा और पीएम नरेंद्र मोदी की जाति कमेंट करके चर्चा में आए सीपी जोशी राजस्थान कांग्रेस के बड़े चेहरे माने जाते हैं। बतौर लेक्चरर करियर की शुरुआत करने वाले सीपी जोशी कैसे बन गए कांग्रेस के दिग्गज नेता आइए जानते हैं।
सीपी जोशी का जन्म राजस्थान के नाथद्वारा में ही हुआ था। नाथद्वारा में ही जोशी ने स्कूली पढ़ाई पूरी की थी इसी दौरान उन्होंने गोवर्धन हायर सैकंडरी स्कूल में अपने करियर का पहला चुनाव लड़ा। जोशी ने यह चुनाव एक वोट से जीता था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जोशी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए उदयपुर आए जहां से उन्होंने अपनी एमएससी की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान वह पहली बार कॉलेज छात्रसंघ के उपाध्यक्ष बने और उसके बाद अगले साल अध्यक्ष पद का चुनाव जीते। जोशी ने पोस्ट ग्रेजुएशन एमएससी करने के बाद एलएलबी और फिर मनोविज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई भी की थी।
जोशी काफी पढ़े-लिखे थे इसलिए अपने करियर की शुरुआत बतौर मनोविज्ञान लेक्चरर की। जोशी की किस्मत तब बदली जब पूर्व सीएम मोहनलाल सुखाड़िया तमिलनाडु के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वापस जयपुर आए। जोशी ने नाथद्वारा में सुखाड़िया के लिए प्रचार की कमान संभाली और सुखाड़िया जीत गए। 1980 में दिग्गजों की टिकट काटकर सुखाड़िया ने जोशी को चुनाव लड़वाया और जोशी जीत गए। मात्र 29 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने और यहां से ही उन्होंने राज्य की सियासत में कदम जमाने शुरु कर दिए थे। जोशी कहते हैं कि नाथद्वारा में पानी एक बड़ी समस्या थी और 1980 तक नाथद्वारा में एसडीएम ऑफिस भी नहीं था लेकिन उन्होंने इस परिस्थिति को काफी हद तक बदल दिया था। जोशी की लोकप्रियता बढ़ती गई और नाथद्वारा सीट से वे 4 बार विधायक चुने गए। 2008 के विधानसभा चुनावों में जोशी उनके ही करीबी रहे कल्याण सिंह से मात्र एक वोट से हार गए, इन चुनावों में वे सीएम पद के पक्के दावेदार माने जा रहे थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिला। चुनाव जीतकर वे पहली बार सांसद बनें और साथ ही बनें कैबिनेट मंत्री । 2009 से 2011 तक वो यूपीए सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे। 2011 से 2013 तक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय संभाला। वहीं 2012 में मुकुल रॉय के रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद सीपी जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला।
जोशी के राजनीतिक जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए। अपने स्कूली जीवन में राजनीति की शुरुआत करने वाले जोशी का सफर सांसद तक पहुंचा और केन्द्रीय मंत्री भी बने। एक-एक वोट ने जीवन के कई अहम पड़ावों पर उनकी किस्मत निर्धारित की इसीलिए कहा जाता है कि हर एक वोट की कीमत जोशी से बेहतर और कोई नहीं जान सकता है। 2013 में इस सीट पर जोशी ने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन इस बार वे नाथद्वारा सीट से मैदान में हैं। देखना ये है की विवादित बयान देकर फिर चर्चा में आए जोशी क्या इस बार भी इस सीट पर बाजी मार पाएगें।