छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में काटे की टक्कर चल रही है। एक तरफ कांग्रेस सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में फिर पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी हुई है तो वहीं बीजेपी ने भी बदली हुई रणनीति के तहत कई समीकरण साधने की कोशिश की है। अब इस बार के नतीजे तो 3 दिसंबर को साफ होंगे, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ करने में कांग्रेस ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली थी।
पिछले चुनाव के नतीजे
पिछली बार का छत्तीसढ़ चुनाव किसी भी लिहाज से टक्कर वाला नहीं था। रमन सिंह के खिलाफ 15 साल की जो सत्ता विरोधी लहर थी, उसका फायदा कांग्रेस ने पूरा उठाया। उस चुनाव में 90 सीटों में कांग्रेस ने अपने दम पर 68 सीटें जीत डाली थीं। वहीं लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रही बीजेपी को महज 15 सीटों से संतुष्ट करना पड़ गया। इस राज्य में 46 सीटों पर बहुमत माना जाता है, ऐसे में कांग्रेस ने तब दो तिहाई से भी ज्यादा बहुमत हासिल किया था। उस चुनाव में अजित जोगी की पार्टी को भी तीन सीटें मिली थीं।
इस बार स्थिति अलग कैसे?
वैसे बड़ी बात ये है कि चुनाव के बाद भी विधानसभा की तस्वीर समय-समय पर बदलती रही। वर्तमान में तो कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा बढ़कर 71 हो चुका है, वहीं बीजेपी 13 पर सिमट गई है। बहुजन समाज पार्टी के पास भी दो विधायक हैं। अब पिछली बार के चुनाव में और इस बार के चुनाव में कई बड़े फर्क नजर आ रहे हैं। एक तरफ कांग्रेस से भी कई दिग्गजों का पलायन हो चुका है तो वहीं बीजेपी में भी अंदरूनी झगड़ों की खबर आए दिन आती रहती है।
चुनावी मुद्दे क्या हैं?
अब वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार तो है, लेकिन उस पर कई आरोप लग रहे हैं। भर्ती घोटाले से लेकर गोरक्षा के मुद्दे लगातार सुर्खियां बटोरते रहते हैं। बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को भी बीजेपी ने चुनावी मौसम में उठाने का काम किया है। ऐसे में इस बार का चुनाव राष्ट्रीय से ज्यादा लोकल मुद्दों पर आधारित रहने वाला है।