इस महीने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए। हिंदी पट्टी के तीन प्रमुख राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस ने सरकार बनाई। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने बीते 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ अंबिकापुर सीट से विधायक टीएस सिंहदेव और दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र से विधायक ताम्रध्वज को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। इसके बाद आज (मंगलवार) मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नौ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इनमें रविन्द्र चौबे, प्रेमसाय सिंह टेकाम, मोहम्मद अकबर, कवासी लखमा, शिव कुमार डहरिया, महिला विधायक अनिला भेंडिया, जय सिंह अग्रवाल, गुरू रूद्र कुमार और उमेश पटेल ने मंत्री पद की शपथ ली। पूर्व मंत्री और कांग्रेस के विधायक अमितेश शुक्ला मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज हो गए।

अमितेश शुक्ला को पहले से उम्मीद थी कि उन्हें बघेल मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ था तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं नेहरु-गांधी की तीन पीढि़यों को जानता हूं। इस परिवार से मेरा पुराना नाता है। उन्होंने कहा, “मुझे मालूम हुआ कि आज मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए शपथ लेने वालों की लिस्ट में मेरा नाम शामिल नहीं है। हमारा परिवार नेहरु-गांधी परिवार की पिछली तीन पीढि़यों से जुड़ा हुआ है। मैं उनके द्वारा लिए गए फैसले का हमेशा सम्मान करता हूं। हालांकि पार्टी ने मेरे साथ गलत किया है।” इस बार के विधानसभा चुनाव में शुक्ला ने अपने प्रतिद्वंदी और भाजपा प्रत्याशी को रिकॉर्ड 55,000 मतों से हराया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रिमंडल विस्तार होने से पहले कांग्रेस विधायक अपने परिवार के साथ सुबह में एक प्रसिद्ध मंदिर पहुंचे थे और उम्मीद जताई थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। उन्होंने यहा संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, “मैं यहां प्रार्थना करने आया हूं और आशीर्वाद लेकर वापस जा रहा हूं।”

मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के बाद शुक्ला ने आश्चर्य जताते हुए कहा यदि पार्टी ने सभी लोकसभा क्षेत्रों से एक-एक व्यक्ति को मंत्री बनाया तो उन्हें महासमुंद से क्यों नहीं चुना गया? उन्होंने कहा, “मैं राजीव जी (राजीव गांधी) का सैनिक था और हाईकमान द्वारा दिए गए सभी आदेशों का पालन करता था।” बता दें कि 60 वर्षीय अमितेश शुक्ला कांग्रेस की पिछली अजीत जोगी की सरकार में 2000 से 2003 के बीच ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने की वजह से अजीत जोगी को वर्ष 2016 में निलंबित कर दिया गया था।