विधानसभा चुनावों में विपक्ष की जातिगत राजनीति में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। हाल ही में बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण में पिछड़े वर्गों की संख्या सामने आने के बाद विपक्ष शासित दूसरे राज्यों में भी इसको कराने को लेकर आवाजें उठने लगी हैं। इस बीच छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनावों में ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों को उठाने की कांग्रेस की कोशिशों से पहले भाजपा ने बड़ी संख्या में ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर माहौल को बदलने की नई चाल चल दी। इससे कांग्रेस के सामने ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।
एससी, एसटी और महिलाओं को भी दी जगह
छत्तीसगढ़ की कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने अब तक घोषित 85 प्रत्याशियों की सूची में 31 पर ओबीसी प्रत्याशियों को उतारा है। इसके अलावा 30 सीटों पर एसटी समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 10 सीटों पर एससी समुदाय के उम्मीदवार हैं। पार्टी ने कुल 14 महिलाओं को भी मैदान में उतारा है। बाकी के पांच सीट सामान्य सीट हैं। भाजपा ने राज्य में कुल 36.5 फीसदी ओबीसी उम्मीदवारों को उतारा है। यह पिछली बार से 10 फीसदी ज्यादा है।
ओबीसी मुद्दे पर किसी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं पार्टी
यही हाल मध्य प्रदेश में भी है। भाजपा ने वहां की कुल 230 सीटों में से 136 सीटों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इन 136 उम्मीदवारों में 40 ओबीसी है। यानी पार्टी ने अब तक 29 फीसदी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को उतारा है। इस पूरी कवायद से साफ है कि भाजपा ओबीसी मुद्दे पर किसी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने इस बार 30 उम्मीदवार एसटी समुदाय के हैं और 18 एससी समुदाय के उतारे हैं। इसके अलावा 16 महिला उम्मीदवार भी पार्टी से टिकट पाने में सफल रहीं। अब तक घोषित टिकटों में 28 युवा चेहरों को मैदान में उतारा गया है।
कांग्रेस पार्टी ने जातिगत मुद्दे का फायदा उठाने के लिए दोनों राज्यों में ओबीसी समुदाय के लिए जाति आरक्षण बढ़ाने की बात तेजी से कर रही थी। उसके समर्थन में दूसरे दल भी साथ आ रहे थे, लेकिन भाजपा ने अपने उम्मीदवारों में ओबीसी समुदाय की संख्या बढ़ाकर साफ कर दिया कि वह इससे कांग्रेस को फायदा नहीं उठाने देगी।