लोकसभा चुनाव को लेकर सारी तैयारियां हो चुकी हैं। तमाम पार्टियों द्वारा प्रचार भी शुरू किया जा चुका है। यूपी की बिजनौर सीट भी इस बार दिलचस्प खेल दिखा रही है। जिस सीट को 2019 के चुनाव में बसपा ने अपने खाते में लिया था, इस बार माहौल कुछ अलग दिखाई पड़ता है। राम मंदिर बनने के बाद बीजेपी जमीन पर माहौल बदलने की बात कर रही है।

बिजनौर सीट पिछली बार बसपा की टिकट पर लड़े मलूक नागर जीते थे। उन्होंने बीजेपी के राजा भ्रतेंद्र सिंह को सात हजार से ज्यादा के अंतर से चुनाव हरा दिया था। बीजेपी के लिए वो हार ज्यादा बड़ी इसलिए रही क्योंकि 19 के चुनाव में मोदी लहर हावी थी, लेकिन फिर भी यूपी की इस सीट पर कमल नहीं खिला था। वहीं बात अगर 2014 के चुनाव की करें तो तब बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की थी।

बड़ी बात ये है कि यूपी की कई दूसरी सीटों की तरह बिजनौर भी एक जमाने में कांग्रेस का ही मजबूत गढ़ रहा है। पांच बार से उसके सांसद यहां से चुनकर आए हैं, वहीं बीजेपी ने चार बार इस सीट को अपने नाम किया है। सपा और बसपा ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है। रालोद को दो बार बिजनौस से जीत मिली है। अब इस बार कहा जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण के बाद बिजनौर में माहौल कुछ बदला है। अब ये बदला माहौल किसे फायदा पहुंचाता है किसे नुकसान देता है, ये देखने वाली बात रहने वाली है।

बिजनौर के जातीय समीकरण की बात करें तो हिंदू आबादी 55 प्रतिशत के करीब है, वहीं मुस्लिम 45 फीसदी हैं। अब इस सीट पर माना जाता है कि मुस्लिम फैक्टर हार-जीत में बड़ा योगदान देता है। इसी वजह से पिछली बार बसपा ने यहां से बाजी मार ली थी। दलित आबादी भी बिजनौर में 22 फीसदी के करीब बैठती है।