पप्पू यादव की निर्दलीय उम्मीदवार मौजूदगी पूर्णिया चुनाव रोचक बना दिया। सोमवार को नाम वापस की अंतिम तारीख थी, लेकिन पप्पू यादव ने अपना पर्चा वापस नहीं लिया। अब अपने चुनाव निशान कैंची लेकर घूम रहे हैं और कहते है कि इसी की धार से महागठबंधन और राजग उम्मीदवारों की जीत को काटूंगा। पूर्णिया की देवतुल्य जनता बतौर निर्दलीय प्रत्याशी एक बार फिर संसद भेजेगी। इससे राजद और कांग्रेस दोनों के नेताओं में तनाव है।
पप्पू यादव कहते है कि पूर्णिया से मुझे असीम प्यार है और मुझे एक बच्चे की तरह पूर्णिया के लोग देखते है। यहां हिंदू- मुसलमान में कोई भेदभाव नहीं है। यही कारण है कि सभी मुझे बेहद प्यार करते है। और मेरे दिल में भी पूर्णिया बसा है। यहां से इंडिया गठबंधन की बीमा भारती ने पर्चा भरा है। वे राजद उम्मीदवार है। पांच दफा विधायक रही।
बिहार में मंत्री रही। इस दफा ये रुपौली की विधायक जद (एकी) की टिकट पर जीती थी। इससे इस्तीफा देकर राजद की लालटेन थाम ली। और राजद ने सीट बंटवारे के पहले ही इन्हें चुनाव चिंह दे दिया। ये भी चुनावी रण में डटी है। इनके पर्चा दाखिल कराने तेजस्वी यादव आए थे। बताते है कि हालांकि लालू प्रसाद और राहुल गांधी के समझाने पर भी निर्दलीय तौर पर पप्पू यादव ने पर्चा दाखिल कर दिया।
अब दिक्कत यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बीमा भारती के लिए प्रचार के लिए जनसभा करने का न्यौता दिया गया है। क्या राहुल राजद उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आते है या नहीं यह देखना है। इन दोनों का मुकाबला जद (एकी) उम्मीदवार व निवर्तमान सांसद संतोष कुमार से है। पूर्णिया के मतदाता इन्हें फिर निर्वाचित करती है या नहीं।
लेकिन मुकाबला तिकोना होने की संभवना है। वैसे 1999 वाली स्थिति भी पूर्णिया दोहरा सकता है। उस चुनाव में पप्पू यादव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल किए थे। वैसे बीमा भारती के पति अवधेश मंडल आपराधिक छवि के है। इनके खिलाफ विभिन्न थानों में एक दर्जन मामले दर्ज है। वहीं, पप्पू यादव की छवि भी दबंग नेता की रही है। वामदल विधायक अजित सरकार की हत्या मामले में सजा होने की वजह से 2009 का चुनाव ये नहीं लड़ पाए थे। 2013 में ऊपरी अदालत से ये बरी हो गए।