छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे भूपेश बघेल को उनके जुझारू व्यक्तित्व, तेजतर्रार छवि और संघर्ष के लिए जाना जाता है। पांच साल पहले झीरम घाटी हत्याकांड में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की मौत के पांच महीने बाद उन्हें संगठन की कमान सौंपी गई थी। अक्टूबर 2013 में कमान संभालने के बाद उन्होंने पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए कड़ा संघर्ष किया। इसी का नतीजा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ करने के बाद कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया।
यात्राओं से बना नेता बन गया मुख्यमंत्री
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री की इस कुर्सी तक पहुंचने के लिए बघेल ने पिछले पांच सालों में करीब पौने तीन लाख किलोमीटर की यात्रा की। संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने कई गांवों में रातें भी बिताईं। इसीलिए उन्हें यात्राओं से बना नेता भी कहा जाता है। शादियों पर होने वाले बड़े खर्च के खिलाफ रहे बघेल ने सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन भी किया ताकि कम खर्च में शादी को प्रोत्साहन दिया जा सके। इसी के चलते प्रदेशभर के कार्यकर्ताओं वे खासे लोकप्रिय हैं। सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना हो या जनहित के मुद्दों पर तत्काल प्रतिक्रिया देना हो बघेल हमेशा से सक्रिय रहे।
…ऐसे पहुंचे शीर्ष पर
23 अगस्त 1961 को एक किसान परिवार में जन्मे भूपेश बघेल का करीब साढ़े चार दशक लंबा सियासी करियर रहा है। इस दौरान उनके नाम कई बड़ी उपलब्धियां रहीं। 32 साल की उम्र में पहली बार वे पाटन से विधायक बने थे। इसके बाद 1998 में दिग्विजय सरकार में अविभाजित मध्य प्रदेश में मंत्री बने, इस समय उनकी उम्र 37 साल थी। अब 57 साल में वे राज्य की राजनीति के शीर्ष पर पहुंच गए हैं। डेढ़ साल पहले रमन सरकार के मंत्री से जुड़े एक सीडी कांड में उन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी है।

