दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को आज रविवार 30 दिन पूरे हो गए हैं। इन 30 दिनों में दिल्ली की राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है, खुद अरविंद केजरीवाल की जिंदगी में कई चुनौतियां आई हैं, कई तरह के संघर्ष देखने को मिले हैं।

अगर ताजा घटनाक्रम की बात करें तो अरविंद केजरीवाल की जेल डाइट को लेकर इस समय सबसे ज्यादा विवाद चल रहा है। जेल का जो मैन्यू सामने आया है उसमें दावा किया गया है कि अरविंद केजरीवाल को उनके परिवार द्वारा लगातार आलू पूरी, आम और मिठाइयां खिलाई जा रही थीं। उसी वजह से उनकी शुगर लेवल बढ़ गई थी, दावा तो यहां तक हुआ है कि नवरात्रि में एक दिन अरविंद केजरीवाल को जेल में अंडे भी दिए गए। ये अलग बात है कि सीएम केजरीवाल के वकील ने कोर्ट के सामने इन तमाम दलीलों को खारिज कर दिया था।

यहां तक कहा गया कि डॉक्टर के कहने पर ही डाइट दी जा रही थी। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि जेल के अंदर अरविंद केजरीवाल के इंसुलिन को बंद कर दिया गया, उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है। अब उससे पहले कि वो वाला विवाद तूल पकड़ पाता, LG वीके सक्सेना ने सामने से आकर एक दूसरी रिपोर्ट का हवाला दे दिया। जोर देकर कहा गया कि डॉक्टर के कहने के बाद ही अरविंद केजरीवाल की इंसुलिन बंद हो चुकी थी।

वैसे इस मामले में अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है, डाइट विवाद में भी उनके पक्ष में कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। इस वजह से बीजेपी को पूरा मौका मिल गया है कि चुनावी मौसम में वो आम आदमी पार्टी के साथ-साथ उनकी पार्टी के सबसे बड़े नेता को भी लगातार निशाने पर लेती रहे। वैसे जब से अरविंद केजरीवाल जेल में गए हैं, लगातार कुछ ना कुछ विवाद खड़े हो रहे हैं। शुरुआत में आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल का 4 किलो वजन कम हो गया, वहीं दूसरी तरफ जेल प्रशासन की तरफ से कहा गया कि इससे उलट केजरीवाल के बदन में बढ़ोतरी देखी गई है।

इसके बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि जेल के अंदर अरविंद केजरीवाल की तबीयत लगातार खराब होती जा रही है, उनका शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। लेकिन उन दावों को भी जेल प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया, इसके बाद ही ईडी ने अपने वकील के द्वारा उल्टा अरविंद केजरीवाल पर ये आरोप लगा दिया कि वे जान पूछकर अपनी शुगर बढ़ा रहे हैं और उसी के आधार पर मेडिकल ग्राउंड पर जमानत लेने की कोशिश कर सकते हैं।

इन 30 दिनों में अरविंद केजरीवाल के साथ वैसे तो काफी कुछ हुआ है, लेकिन सबसे नाटकीय घटनाक्रम वो था जिसमें उन्होंने हाई कोर्ट के सामने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। उस समय अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ईडी ने उन्हें जो गिरफ्तार किया है, वह पूरी तरह अवैध है, यहां तक कहां गया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और सिर्फ कुछ गवाहों के बयान के आधार पर उनके खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई कर दी गई। उस सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने ये आपत्ति भी दर्ज करवाई थी कि चुनाव के समय उन्हें गिरफ्तार किया गया, यानी की साजिश के तहत ईडी ने उनके खिलाफ एक्शन लिया।

अब अगर इन दलीलों को कोर्ट स्वीकार कर लेता तो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की चुनावी मौसम में ये सबसे बड़ी जीत होती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, कोर्ट की तरफ से उल्टा अरविंद केजरीवाल को फटकार पड़ गई और यहां तक कहा गया कि ईडी के पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं। यहां तक कहां गया की रिश्वत लेने के जो आरोप लगे हैं, उसमें अरविंद केजरीवाल की भूमिका भी सामने आई है। अब क्योंकि दिल्ली के सीएम गवाहों के बयान पर सवाल उठा रहे थे, कोर्ट ने उस बात पर भी आपत्ति जताते कह दिया कि अगर उनका गवाहों पर सवाल उठाए जाएंगे तो यह सीधे-सीधे अदालत पर भी सवाल उठाने जैसा होगा। केजरीवाल की उस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया था जहां पर कहा गया कि चुनाव के समय उन्हें अरेस्ट किया गया। साफ कहा गया कि सभी के लिए समान कानून है और ये बोलना कि चुनाव के समय उनकी गिरफ्तारी हुई, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

अब एक तरफ जेल में रहते हुए अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं, दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी ने उन्हीं की पत्नी सुनीता केजरीवाल के जरिए शुरू से एक बार फिर जमीनी सियासत करने की कोशिश की है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें भी हैं कि आम चुनाव के दौरान सुनीता केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा होंगी, उनके नाम और चेहरे के दम पर जनता की सहानुभूति मिलेगी और उसी के सहारे जमीन पर खुद को मजबूत करने की कवायद होगी।