लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरुण गोयल के निर्वाचन आयुक्त के पद से इस्तीफा देना सभी को हैरान कर गया है। उनका कार्यकाल अभी 2027 तक रहने वाला था, लेकिन समय से पहले और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनके द्वारा उठाया गया ये कदम कई की नजरों में खटक रहा है।
अभी तक कारण स्पष्ट नहीं है कि आखिर अरुण गोयल ने अचानक से यूं अपना इस्तीफा क्यों दिया, लेकिन बताया जा रहा है शनिवार को ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास अरुण गोयल का इस्तीफा जा चुका था और अब उसे स्वीकार भी कर लिया गया है। ये समझने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग के पास कुल तीन अधिकारी होते हैं- एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त।
असल में अनूप चंद्र पांडे तो इस साल पहले ही फरवरी में रिटायर हो चुके थे, वहीं अब जब अरुण गोयल ने खुद इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में सारी जिम्मेदारी मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार पर आ गई है। सभी के मन में सवाल ये है कि इस बार के लोकसभा चुनाव की तैयारी सिर्फ एक ही अधिकारी द्वारा की जाएगी?
अरुण गोयल की बात करें तो उन्होंने 18 नवंबर 2022 को स्वच्छ सेवानिवृत्ति ले ली थी और केंद्र सरकार ने इसके अगले ही दिन उन्हें निर्वाचन आयुक्त बना दिया। इसी वजह से बड़ा विवाद खड़ा हुआ था, विपक्ष ने कई तरह के सवाल दागे थे और ये मामला सर्वोच्च अदालत तक चला गया था। उसे समय सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से यही सवाल पूछा था आखिर नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई?
ये अलग बात है कि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ही उस याचिका को खारिज कर दिया और अरुण गोयल निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिए गए थे। लेकिन अब जब ऐसी चर्चा है कि अगले हफ्ते किसी भी दिन लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है, उससे ठीक पहले अरुण के इस्तीफे ने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। अभी तक चुनाव आयोग ने कोई आधिकारिक बयान इसको लेकर जारी नहीं किया है, वहीं केंद्र सरकार की तरफ से भी कोई टीका टिप्पणी नहीं हुई है।