प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से कांग्रेस ने एक बार फिर अजय राय को मौका दिया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 लाख से भी ज्यादा अंतर से चुनाव हारने के बाद भी अजय राय एक बार फिर पीएम मोदी के खिलाफ ही अपनी दावेदारी ठोकने जा रहे हैं। कांग्रेस नेता अजय राय का जन्म 7 अक्टूबर 1969 को वाराणसी में हुआ था। बड़ी बात ये है कि वर्तमान में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले अजय राय ने अपने सियासी करियर की शुरुआत बीजेपी की छात्र शाखा एबीवीपी से की थी।
कुछ साल एबीवीपी के साथ काम करने के बाद 1996 में बीजेपी के टिकट पर कोलकाता सीट से विधानसभा का चुनाव भी अजय रहने ही लड़ा। उस चुनाव में उन्होंने नौ बार के विधायक उदल को मात्र 484 वोटो से हरा दिया था। इसके बाद 2002 और फिर 2007 के लोकसभा चुनाव में भारी अंतर से हराकर उन्होंने उस सीट पर अपना जलवा कायम रखा। बीजेपी में अजय राय की परी अच्छी चल रही थी, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ चुकी थी।
वे वाराणसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने वहां से मुरली मनोहर जोशी को उतार दिया। इस वजह से अजय राय के सियासी करियर में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट आया और उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। उस चुनाव में सपा ने मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ वाराणसी सीट से ही अजय राय को उतार दिया। अब अजय राय को खुद पर विश्वास तो पूरा था लेकिन उस चुनाव में मुरली मनोहर जोशी की ऐसी लहर चली की अजय को करारी हार का सामना करना पड़ा।
ऐसे में सपा में एक असफल पारी खेलने के बाद 2012 में अजय राय ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया। 2012 में ही पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव जीता। उस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के अखिलेश मिश्रा को 28000 करीब वोटो से हरा दिया। उन्हें वहां से 2017 में तब हारना पड़ा जब बीजेपी के अवधेश सिंह ने उन्हें 40000 से ज्यादा वोटो से हरा दिया था। लेकिन अब अजय राय फिर पीएम मोदी के खिलाप वाराणसी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, जीत का विश्वास भी दिखा रहे हैं, लेकिन उनकी ये राह कई गुना मुश्किल चल रही है।