वैश्विक स्तर पर शिक्षकों, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों को नई पहचान देने और उन्हें सम्मान देने के लिए हर साल विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को सेलिब्रेट किया जाता है। हालांकि भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। भारत में शिक्षक दिवस भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, लेकिन विश्व शिक्षक दिवस के पीछे ऐसी कोई वजह नहीं है। वर्ल्ड टीचर्स डे को पहली बार 1994 में सेलिब्रेट किया गया था।
यूनेस्को ने दी थी विश्व शिक्षक दिवस को मान्यता
विश्व शिक्षक दिवस को मनाने के पीछे की वजह यह है कि साल 1966 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की सिफारिश पर यूनेस्को ने “शिक्षकों की स्थिति के बारे में चिंता” पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसे 1994 में स्थापित किया था। यह चिंता शिक्षकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों, उनके प्रशिक्षण, रोजगार और काम करने की स्थितियों के बारे में मानक निर्धारित करती है।
इस साल की क्या है थीम?
इस साल वर्ल्ड टीचर्स डे की थीम की बात करें तो इस साल का विषय ‘शिक्षकों की आवाज को महत्व देना: शिक्षा के लिए नए सामाजिक अनुबंध की ओर’ है। बता दें कि हर साल विश्व शिक्षक दिवस की थीम अलग होती है जो शिक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियों या प्रोग्रेस को उजागर करती है। पिछले कुछ सालों की थीम की बात करें तो समावेशी शिक्षा, शिक्षकों के अधिकार, डिजिटल शिक्षा और कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षण की चुनौतियों जैसे विषय शामिल हैं।
100 से अधिक देशों में मनाया जाता है विश्व शिक्षक दिवस
बता दें कि वर्ल्ड टीचर्स डे दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इसे शिक्षकों के जश्न मनाने, अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के महत्व पर जोर देने के अवसर के रूप में देखा जाता है। यह शिक्षकों द्वारा वैश्विक स्तर पर सामना की जाने वाली चुनौतियों की याद दिलाता है, जैसे अपर्याप्त कार्य परिस्थितियाँ, व्यावसायिक विकास के अवसरों की कमी और वेतन और स्थिति से संबंधित मुद्दे।