मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लेते हुए कुल 15 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें आउटसोर्सिंग सेवाओं को पारदर्शी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सेवा निगम लिमिटेड का गठन, लखनऊ और कानपुर में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर ई-बसों का संचालन, नई निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 और शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना जैसे बड़े निर्णय शामिल हैं।

आउटसोर्स कर्मचारियों को मिलेगा सुरक्षित भविष्य

कैबिनेट ने कम्पनीज एक्ट-2013 की धारा 8 के तहत “उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड” के गठन को मंजूरी दी। यह गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी, जो जेम पोर्टल के माध्यम से एजेंसियों का चयन करेगी, जिसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं।

कर्मचारियों का मानदेय ₹16,000 से ₹20,000 प्रतिमाह तय होगा।

वेतन हर महीने की 1 से 5 तारीख तक सीधे खाते में आएगा।

ईपीएफ और ईएसआई की राशि सीधे कर्मचारियों के खाते में जाएगी।

आउटसोर्स भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का प्रावधान होगा।

आरक्षण, मातृत्व अवकाश, अंतिम संस्कार सहायता और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी।

संविदा कर्मियों से मिली थी मानदेय न मिलने की शिकायतें

उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अब तक एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों को पूरा मानदेय और अन्य सुविधाएं न देने की शिकायतें मिलती थीं। निगम के गठन से यह समस्या खत्म होगी।

शाहजहांपुर को मिला नया विश्वविद्यालय

कैबिनेट ने शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना को भी मंजूरी दे दी, जिसे मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की शैक्षणिक इकाइयों को एडवांस मोड में बनाया जाएगा। इस विश्वविद्यालय के लिए ट्रस्ट की 21.01 एकड़ भूमि में से 20 एकड़ इस्तेमाल में लाई जाएगी। पहले चरण में ट्रस्ट और उच्च शिक्षा विभाग के बीच एमओयू होगा और उसके बाद औपचारिक प्रक्रिया उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत पूरी होगी।