संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अपनी सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया में कुछ बड़े बदलाव किए हैं। दरअसल, आयोग ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए अब सिविल सेवा (प्रीलिम्स) परीक्षा के तुरंत बाद ही अपनी प्रोविजनल आंसर की जारी करने पर अपनी सहमति व्यक्त कर दी है। यानी कि अब सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (CSE Prelims) के बाद ही उम्मीदवारों को प्रोविजनल आंसर की मिल जाएगी और कैंडिडेट उस पर आपत्ति भी दर्ज करा सकेंगे। अभी तक प्रोविजनल आंसर की परीक्षा प्रक्रिया समाप्त होने के बाद जारी होती थी और उम्मीदवारों को ऑब्जेक्शन का भी विकल्प नहीं मिलता था।

परीक्षा के एक ही दिन बाद जारी हो सकती है आंसर की

आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा में पारदर्शिता को बढ़ाने की मांग वाली याचिका के जवाब में दाखिल किए एक हलफनामे में यह जानकारी दी है कि अब प्रीलिम्स परीक्षा के बाद ही कैंडिडेट्स के लिए प्रोविजनल आंसर की जारी कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता को न्यायमित्र और उनकी सहायता के लिए अधिवक्ता प्रांजल किशोर को नियुक्त किया था। न्यायमित्र ने सुझाव दिया था कि “प्रारंभिक परीक्षा की प्रोविजनल आंसर की परीक्षा आयोजित होने के एक दिन बाद प्रकाशित की जानी चाहिए”।

आयोग ने हलफनामे में क्या कहा?

संघ लोक सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर की जारी किए जाने का फैसला पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है। आयोग ने बताया कि प्रोविजनल आंसर की परीक्षा के बाद जारी की जाएगी और अभ्यर्थियों से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। 13 मई को दायर एक हलफनामे में आयोग ने कहा कि यदि इस सुझाव को लागू किया जाता है, तो यह “प्रतिकूल परिणाम देने वाला” हो सकता है।

20 सितंबर को दायर एक नए हलफनामे में आयोग ने कहा कि “रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान यूपीएससी ने इस मामले में सहायता के लिए माननीय न्यायालय द्वारा नियुक्त माननीय न्यायमित्र के सुझाव सहित विभिन्न कारकों पर विचार-विमर्श किया है। व्यापक विचार-विमर्श और एक संवैधानिक निकाय के रूप में यूपीएससी को सौंपी गई पवित्र भूमिका को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने कुछ अहम निर्णय लेने का फैसला किया। इनमें “प्रारंभिक परीक्षा आयोजित होने के बाद प्रोविजनल आंसर की जारी करना’ भी शामिल है।

इसमें आगे कहा गया है कि परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों से आपत्तियां मांगी जाएगी। यूपीएससी ने आगे कहा, “प्रत्येक अभ्यावेदन/आपत्ति के समर्थन में तीन आधिकारिक स्रोत होने चाहिए। जिन आपत्तियों का समर्थन नहीं किया जाता है, उन्हें तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए। हालांकि आयोग यह तय करेगा कि प्रस्तुत स्रोत आधिकारिक हैं या नहीं।”