UP Board Class 10th, 12th Result 2019: यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं का परिणाम जारी किया जा चुका है। यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा में इस साल 70 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट्स पास हुए हैं। हाईस्कूल में 80.07 स्टूडेट्स पास हुए हैं। यूपी बोर्ड 10वीं में लड़िकयां 83.98 प्रतिशत पास हुई हैं और लड़के 76.66 प्रतिशत पास हुए हैं। लड़कियां 7.32 परसेंट ज्यादा पास हुई हैं। यूपी बोर्ड 10वीं के परिणाम के मुताबिक हिंदी का एग्जाम छात्रों को सबसे आसान लगा। दरअसल इस विषय में सबसे ज्यादा छात्र पास हुए हैं। हिंदी का पास पर्सेंटेज 80.54 प्रतिशत रहा। 10वीं कक्षा के टॉप 10 में कुल 21 छात्र हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा 6 स्टूडेंट्स कानपुर के हैं। टॉपर गौतम रघुवंशी भी कानपुर के ही हैं। इंटर में लखनऊ 89.28 फीसदी रिजल्ट के साथ अव्वल रहा। दूसरे नंबर पर शामली (88.78 फीसदी) और तीसरे नंबर पर गाजियाबाद (87.23 फीसदी) रहा है। अगर आपके नंबर कम आए हैं तो अपनी कॉपी को दोबारा चेक करा सकते हैं। इसमें नंबर बढ़ने की उम्मीद होती है।
स्टूेडंट्स अपना रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट्स पर चेक कर सकते हैं। यूपी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट्स upmspresults.up.nic.in, upresults.nic.in, upmsp.edu.in हैं। इसके अलावा स्टूडेंट्स अपना रिजल्ट यहां क्लिक करके ऐप में चेक कर सकते हैं। वहीं अगर आपके पास इंटरनेट नहीं है तो आप SMS से भी अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं। इसके लिए स्टूडेंट्स को SMS का चार्ज भी देना होगा।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी- यूपी की नंबर 1 यूनिवर्सिटी, पूरे देश में तीसरे स्थान पर।अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़- यूपी में दूसरा स्थान, पूरे देश में 11वें स्थान पर।किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ- यूपी में तीसरा स्थान, पूरे देश में 25वां स्थान पर।शिव नादर यूनिवर्सिटी, दादरी- यूपी में चौथा स्थान, पूरे देश में 52वां स्थान पर।एमिटी यूनिवर्सिटी, गौतम बुद्ध नगर- यूपी में 5वां स्थान, पूरे देश में 58वां स्थान पर।दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा- यूपी में छठा स्थान, पूरे देश में 77वां स्थान पर।
2018 की तुलना में शून्य रिजल्ट देने वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले साल 150 स्कूलों का परिणाम शून्य था। हालांकि 2017 में 183 स्कूल ऐसे थे जिनका एक भी छात्र पास नहीं हो सका था।
यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट के प्रमुख विषयों की परीक्षा में पहली बार दो की जगह एक पेपर किए जाने का असर परिणाम पर भी पड़ा। हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान समेत अन्य महत्वपूर्ण विषयों का पाठ्यक्रम दो से एक पेपर में समाहित होने के कारण सफल छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आई है।
जीपीवाईएस हाईस्कूल से पंजीकृत 14 बच्चों में से छह ने परीक्षा दी लेकिन सभी फेल हो गए। आरजीएस कॉलेज हेतापट्टी झूंसी से 10 परीक्षार्थियों में से छह ने परीक्षा दी लेकिन सब फेल हुए। यही हाल इंटर के तीन स्कूलों का रहा। इन स्कूलों का कोई छात्र पास नहीं कर सका। शारदा इंटर कॉलेज नौडिहा तरहार के आठ छात्र 12वीं की परीक्षा के लिए पंजीकृत थे। उनमें से पांच ने परीक्षा दी और सब फेल हो गए। बीएनडी मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज उग्रसेनपुर से पंजीकृत तीन में से दो छात्र 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। बीआर सिंह बालिका इंटर कॉलेज नैनी के आठ में से दो छात्र इंटर की परीक्षा में शामिल हुए और दोनों फेल हो गए।
एसएस निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल नैनी के आठ में से एक छात्र ने हाईस्कूल परीक्षा दी और फेल हो गया। लिटिल हार्ट्स हायर सेकेंडरी स्कूल नैनी और जेडी मेमोरियल पब्लिक स्कूल नासिरपुर अंदावा झूंसी से मात्र एक-एक छात्र ने 10वीं की परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। दोनों ने परीक्षा भी दी लेकिन कोई पास नहीं हो सका। .
प्रदेश के 75 जिलों में 10वीं का परिणाम 62 तो इंटर का 61वें स्थान पर रहा। जिले के 10 स्कूलों का रिजल्ट शून्य रहा जो खुद बड़ा सवाल है। शून्य परिणाम देने वाले जिले के ये स्कूल प्राइवेट हैं। ये यूपी बोर्ड की छवि पर दाग लगा रहे हैं। .
इस साल इंटर का पासिंग प्रतिशत 70.06 प्रतिशत रहा। इंटर में कुल 76.46 प्रतिशत छात्राएं तथा 64.40 प्रतिशत छात्र पास हुए। छात्राओं का परिणाम लड़कों से 12.06 प्रतिशत आगे
हाईस्कूल में गौतम रघुवंशी ने टॉप किया है। कुल 80.07 प्रतिशत छात्र इस बार पास हुए हैं। लड़कियों का पासिंग प्रतिशत 83.98 रहा तथा लड़कों का पासिंग प्रतिशत 76.66 रहा। जाहिर है हाईस्कूल में लड़कियां 7.32 प्रतिशत अधिक संख्या में पास हुईं।
हाईस्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन मुजफ्फरनगर जिले का रहा। यहां 91.89 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए। वहीं इंटर की परीक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन लखनऊ का रहा। यहां 89.28 प्रतिशत छात्र सफल हुए।
पिछले साल यूपी बोर्ड के रिजल्ट आने के बाद छात्रा अजंलि वर्मा ने यूपी बोर्ड 10वीं परिणाम में टॉप किया था। उस सयम अंजलि को 96.33% अंक मिले थे। वहीं, यशस्वी को 94.5% मार्क्स मिले थे।
हाईस्कूल के टॉपर गौतम रघुवंशी ने कहा कि नंबरों के लिए नहीं नॉलेज के लिए पढ़ें। कानपुर के गौतम रघुवंशी ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा में 97.17 फीसदी अंक हासिल कर प्रदेश में पहला स्थान पाया है। गौतम ओंकारेश्वर विद्यालय के छात्र हैं। वह इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। गौतम ने पढाई के लिए नेट नोट बुक्स का भी सहारा लिया और अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता और स्कूल के अध्यापकों को दिया।
इंटर में राजकीय व एडेड के क्रमश: 78.45 तथा 71.72 जबकि प्राइवेट स्कूलों के 68.77 प्रतिशत छात्र-छात्राएं सफल हुए। इस वर्ष 10वीं के 139 और 12वीं के 249 स्कूल ऐसे हैं जिनका परिणाम 20 प्रतिशत से कम रहा।
2018 की तुलना में शून्य रिजल्ट देने वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले साल 150 स्कूलों का परिणाम शून्य था। हालांकि 2017 में 183 स्कूल ऐसे थे जिनका एक भी छात्र पास नहीं हो सका था।
2017 में 183 जबकि 2016 में 50 स्कूल ऐसे थे जिनका परिणाम शून्य था। 2015 में 11 स्कूल का एक भी बच्चा पास नहीं हो सका था।
प्रयागराज में यूपी बोर्ड का मुख्यालय है। जिस जिले में यूपी बोर्ड का मुख्यालय है उसके स्कूलों का परिणाम ही बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है। हाईस्कूल में सात स्कूल ऐसे हैं जिनका एक भी छात्र पास नहीं हुआ। न्यू ब्राइट गर्ल्स इंटर कॉलेज करेली, एचएलपी हायर सेकेंडरी स्कूल मवैया, एसएस निकेतन हायर सेकेंडरी नैनी, लिटिल हार्ट्स हायर सेकेंडरी नैनी, जीपीवाईएस हाईस्कूल, जेडी मेमोरियर पब्लिक स्कूल नासिरपुर अंदावा झूंसी, आरजीएस कॉलेज हेतापट्टी झूंसी का परिणाम शून्य है। इंटर में तीन स्कूलों का परिणाम शून्य है। शारदा इंटर कॉलेज नौडिहा तरहार, बीएनडी मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज उग्रसेनपुर, बीआर सिंह बालिका इंटर कॉलेज नैनी का रिजल्ट जीरो है।
यूपी बोर्ड के 165 स्कूलों का परिणाम शून्य है। इनमें से 96 स्कूलों के 10वीं के सभी छात्र फेल हैं जबकि 69 स्कूल ऐसे हैं जिनका 12वीं का रिजल्ट जीरो है।
हाईस्कूल का परिणाम इंटरमीडिएट से बेहतर रहा क्योंकि 80 प्रतिशत से ज्यादा ने कक्षा 10 की परीक्षा पास की। इसमें 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कक्षा 12 में 70.06 प्रतिशत ने एग्जाम पास किया। इस साल 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
यूपी बोर्ड की परीक्षाओं का रिजल्ट (UP Board 10th,12th Result) ऑफिशियल वेबसाइट upmsp.edu.in पर जारी किया गया है। यूपी बोर्ड इंटर में 76.46 प्रतिशत लड़कियां पास हुई हैं और 64.40 प्रतिशत लड़के पास हुए हैं।
इस साल 39 प्रश्नपत्र कम हो गए थे। बोर्ड ने ऐसा इसलिए किया ताकि परीक्षा में लगने वाले अत्यधिक समय को कम किया जा सके। साथ ही कम पेपर होने से छात्र-छात्राओं के ऊपर दबाव भी कम होगा। हालांकि पहली बार प्रयोग होने पर परिणाम पर असर पड़ा।
हाईस्कूल का परिणाम इंटरमीडिएट से बेहतर रहा क्योंकि 80 प्रतिशत से ज्यादा ने कक्षा 10 की परीक्षा पास की। इसमें 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कक्षा 12 में 70.06 प्रतिशत ने एग्जाम पास किया। इस साल 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी- यूपी की नंबर 1 यूनिवर्सिटी, पूरे देश में तीसरे स्थान पर।अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़- यूपी में दूसरा स्थान, पूरे देश में 11वें स्थान पर।किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ- यूपी में तीसरा स्थान, पूरे देश में 25वां स्थान पर।शिव नादर यूनिवर्सिटी, दादरी- यूपी में चौथा स्थान, पूरे देश में 52वां स्थान पर।एमिटी यूनिवर्सिटी, गौतम बुद्ध नगर- यूपी में 5वां स्थान, पूरे देश में 58वां स्थान पर।दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा- यूपी में छठा स्थान, पूरे देश में 77वां स्थान पर।
यूपी बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 27,64,277 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिनमें 24,55,496 परीक्षार्थी पास हुए थे. साल 2015 में सिर्फ 11.17 फीसदी परीक्षार्थी फेल हुए थे।
हाईस्कूल की परीक्षा 14 दिन और इण्टर की परीक्षा 16 दिन में समाप्त हो गई थी। इस बार की परीक्षा में कुल 80.07% प्रतिशत छात्र सफल रहे।
12वीं में परिणाम के प्रदर्शन की बात करें तो लखनऊ नें सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। यहां 89.29% प्रतिशत स्टूडेंट्स पास रहे दूसरे नंबर पर शामली(88.78%) और तीसरे पर गाजियाबाद(87.23 %)।जबकि चन्दौली (68.79%), सोनभद्र (67.97%) और मिर्जापुर (67.74%) में इतने प्रतिशत छात्र ही पास हो पाए।
इस साल बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में कुल 58,06,922 छात्र उपस्थित हुए थे। इसमें से हाईस्कूल में 31,95,603 छात्रों ने थे, जबकि कक्षा 12 की परीक्षाओं के लिए 26,11,319 थे जिसके बाद 6,52,881 छात्रों ने परीक्षा को बीच में ही छोड़ दी।
इस साल, यूपी बोर्ड के नतीजों में पिछले साल के 75.16 प्रतिशत की तुलना में 4.91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि इंटरमीडिएट के लिए प्रतिशत में पिछले वर्ष के 72.43 प्रतिशत की तुलना में 2.37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि जिन स्कूलों का परिणास शून्य रहा है उन स्कूलों से पहले कारण पूछा जाएगा और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनकी मान्यता वापस लेनी की संस्तुति की जाएगी।
हैरान करने वाली बात यह है कि 96 स्कूलों के 10वीं के सभी छात्र फेल हैं जबकि 69 स्कूल ऐसे हैं जहां 12 वीं के सभी छात्र-छात्राएं फेल हैं।
यूपी बोर्ड द्वारा जारी सूचना के आधार पर, कक्षा 10 के छात्रों ने हिंदी को सबसे आसान विषय पाया क्योंकि इसमें 80.54 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।
यूपी बोर्ड हाई स्कूल और इंटरमीडिएट दोनों परीक्षाओं के लिए एक साथ रिजल्ट जारी किया गया है। कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिए कुल उत्तीर्ण प्रतिशत इस वर्ष 80.07 प्रतिशत है।
मुजफ्फरनगर ने 91.80 प्रतिशत रिजल्ट के साथ यूपी बोर्ड की कक्षा 10 की हाई स्कूल परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ परिणाम दर्ज किया। दूसरे और तीसरे नंबर पर शामली और लखनऊ में, 91.4 प्रतिशत और 91.26 प्रतिशत छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की।
परीक्षा में पास होने के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम 35 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। यदि छात्र एक विषय या दो में फेल होते हैं वे कंपार्टमेंटल परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। एक से अधिक विषय में फेल होने वाले छात्रों को वर्ष दोहराना होगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार यूपी बोर्ड 2019 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 23,52,049 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से कुल 16,47,919 परीक्षार्थियों ने ही यह परीक्षा पास की है। इस तरह से 30 प्रतिशत छात्र परीक्षा में फेल हो गए हैं।
पिछले वर्ष की तुलना में हाईस्कूल के उत्तीर्ण प्रतिशत में 4.91 की वृद्धि हुई है जबकि इंटरमीडिएट में 2.37 की कमी हुई है। हाईस्कूल की टॉप-10 सूची में विभिन्न जिलों के 21 विद्यार्थियों के नाम हैं जबकि इंटरमीडिएट टॉप-10 में 14 विद्यार्थियों के नाम हैं।
बागपत की तनु तोमर ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप किया है। वहीं हाईस्कूल की परीक्षा में गौतम रघुवंशी ने टॉप किया है। इस वर्ष 12वीं की परीक्षा का रिजल्ट 70 प्रतिशत रहा जबकि 10वीं का रिजल्ट 80 फीसदी रहा।
कुल परिणाम – 70.06 प्रतिशत
छात्राएं – 76.46, छात्र- 64.40 प्रतिशत उत्तीर्ण
छात्राओं का परिणाम लड़कों से 12.06 प्रतिशत आगे
हाईस्कूल में कुल 80.07 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। इनमें लड़िकयों का प्रतिशत 83.98 रहा जबकि 76.66 प्रतिशत लड़के पास हुए। जाहिर है लड़कियां 7.32 प्रतिशत अधिक संख्या में पास हुईं।
यूपी बोर्ड ने इस बार 7 फरवरी से 28 फरवरी तक बोर्ड एग्जाम्स का आयोजन किया था। दसवीं की परीक्षा 28 फरवरी को खत्म हुई जबकि बारहवीं कक्षा की परीक्षा 2 मार्च को खत्म हुई।
हाईस्कूल में छात्रों को सबसे तगड़ा झटका गणित में लगा है। अंग्रेजी और विज्ञान में भी काफी परीक्षार्थी मात खा गए। सबसे खराब रिजल्ट गणित का है, जिसमें 26 फीसदी परीक्षार्थी फेल हो गए हैं, वहीं प्रारंभिक गणित में तो 50 फीसदी को ही सफलता मिल सकी।
हाईस्कूल में सबसे खराब प्रदर्शन मिर्जापुर जिले का रहा जहां 67.64 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। इसी तरह, इंटरमीडिएट में सबसे खराब प्रदर्शन हाथरस जिले का रहा जहां महज 48.62 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए।