नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि कि एनटीए ने पिछले महीने ही यूजीसी नेट री-एग्जाम की तारीख जारी की थी। पहले 18 जून को होने वाली इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। 29 जून को एनटीए ने परीक्षा दोबारा आयोजित कराने की नई तारीख जारी की, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में इस दोबारा परीक्षा को आयोजित कराने पर रोक की मांग वाली याचिका दायर कर दी गई है।

यह बेंच करेगी सुनवाई

इस याचिका पर प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करने वाली है। माना जा रहा है कि यह सुनवाई सोमवार को होगी। बता दें कि यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के फैसले के खिलाफ यह याचिका दायर हुई है। मंत्रालय ने 19 जून को यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का आदेश दिया था और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

याचिकाकर्ता ने क्या की है मांग?

अधिवक्ता उज्ज्वल गौर द्वारा दायर याचिका में यूजीसी-नेट परीक्षा की प्रस्तावित पुन: परीक्षा पर उस वक्त तक रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जब तक कि सीबीआई प्रश्नपत्र लीक के आरोपों की जांच पूरी नहीं कर लेती। याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता का कहना है कि सीबीआई के हालिया निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए (पुन:परीक्षा आयोजित करने का) यह निर्णय न केवल मनमाना है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है

CBI जांच पर उठाया सवाल

सीबीआई की जांच से यह तथ्य सामने आया है कि प्रश्नपत्र लीक का दावा करने वाले सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है।’’ याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि परीक्षा को अनावश्यक रद्द करने से उन अभ्यर्थियों को काफी परेशानी हुई, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की थी। याचिका में कहा गया है कि इस निर्णय ने अनगिनत छात्रों की शैक्षणिक और पेशेवर योजनाओं को बाधित किया है, जिससे परीक्षा प्रणाली में उनका भरोसा कम हुआ है।

याचिका में की गई यह मांग

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि झूठे साक्ष्य के आधार पर परीक्षा रद्द करना न्याय नहीं होने के समान है। यह भारत के संविधान में निहित निष्पक्षता और समानता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। याचिका में, न्यायालय से सीबीआई को यूजीसी-नेट परीक्षा पेपर लीक आरोपों की जांच में तेजी लाने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।