Education News: यूजीसी यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने कॉलेजों में मेंटल हेल्थ को लेकर अहम फैसला लेते हुए आदेश जारी किया कि सभी सभी कॉलेजों और मानसिक स्वास्थ्य सहायता को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके तहत अब हर एक संस्थान को एक योग्य काउंसलर या मानोवैज्ञानिक को रखना ही होगा, जिससे छात्रों की जरूरत पड़ने पर मदद की जा सकी।
यूजीसी के इन नियमों का मकसद यह है कि छात्रों की पढ़ाई के दौरान उनकी मानसिक सेहत का ध्यान रखा जाए और उन्हें सुरक्षित माहौल प्रदान किया जा सके। हाल ही में नीट अभ्यर्थी की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है।इसके चलते अब कॉलेज और कोचिंग संस्थान भी छात्रों के साथ मार्क्स या प्रदर्शन के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकेंगे।
हर संस्थान में लगातार मनोवैज्ञानिक सहायता
यूजीसी के इन नए नियमों से छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक रूप से भी मजबूत बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसको लेकर यूजीसी ने कहा है कि कॉलेजों को छात्रों पर ऊंचे लक्ष्य नहीं थोपने चाहिए, इससे उनमें अनावश्यक तनाव बढ़ सकता है।
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हर संस्थान में लगातार मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध होनी चाहिए। इसके लिए कॉलेजो को ऐसे सिस्टम बनाने होंगे, जिससे छात्र जब भी जरूरत हो आसानी और सुरक्षित माहौल में अपनी बात रख सकेंगे।
कॉलेजों की होगी मॉनीटरिंग
यूजीसी ने कॉलेजों को इन नए नियमों को लागू करने का कहा है। इसके तहत छात्रों के लिए छतों बालकनियों और ऐसे जगहों पर एंट्री रोकी जाएगी, जहां छात्रों के लिए खतरा हो सकता है।
क्लासरूम और हॉस्टल में छेड़छाड़-रोधी पंखे या सुरक्षित उपकरण लगाने जरूरी होंगे। कॉलेजों को इन नियमों का तुरंत पालन करना होगा। इसके साथ ही कॉलेजों की समय-समय पर मॉनीटरिंग भी होगी।
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