UGC New Guidelines for University Exams 2020: यूजीसी ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के एग्जाम के लिए नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। नई गाइडलाइन्स से साफ हो गया है कि एग्जाम कराए जाएंगे। सोमवार 06 जुलाई को हुई बैठक में यूजीसी ने कहा कि ये परीक्षा ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों मोड में आयोजित की जा सकती है। हालांकि गाइडलाइन्स आने से पहले ही कुछ यूनिवर्सिटीज ने फैसला ले लिया था कि वह इस साल एग्जाम नहीं कराएंगी। सोमवार देर शाम जारी एक बयान में, यूजीसी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को फाइनल ईयर की परीक्षाओं कराने की सलाह देने का निर्णय “विश्व स्तर पर छात्रों की शैक्षणिक विश्वसनीयता, कैरियर के अवसरों और भविष्य की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए” लिया गया था। शैक्षणिक मूल्यांकन हर शिक्षा प्रणाली में एक बहुत जरूरी माइलस्टोन है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है और यह क्षमता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता का प्रतिबिंब है जो वैश्विक स्वीकार्यता के लिए आवश्यक है।
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आखिरी सेमेस्टर या फाइनल ईयर की परीक्षा के लिए उपस्थित होने के लिए, विश्वविद्यालय सितंबर के बाद एक विशेष परीक्षा आयोजित करेंगे। बैकलॉग के साथ फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को एक परीक्षा के माध्यम से अनिवार्य रूप से मूल्यांकन किया जाएगा। इससे पहले, गृह मंत्रालय ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा था कि उसने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी है और कहा कि “अंतिम रूप से परीक्षाएं यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुसार अनिवार्य रूप से आयोजित की जानी हैं”।
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अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर पंकज चंद्रा ने कहा, "हमने तय किया है कि यदि कोई छात्र कैम्पस खुलने पर भी कैम्पस आने में असहज महसूस करता है, तो हम उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने की सुविधा तब तक मुहैया कराएंगे, जब तक उन्हें यह महसूस नहीं हो जाता कि वे कैंपस में आने के लिए तैयार हैं।" यूनिवर्सिटी दिसंबर अंत तक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करने का मौका दे रही है।
अहमदाबाद यूनिवर्सिटी ने अपने छात्रों को इस साल दिसंबर तक ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने का विकल्प दिया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि भले ही कैम्पस इससे पहले ही फिर से खुल जाएं फिर भी छात्र अपनी सहूलियत के अनुसर, दिसंबर के अंत तक ऑनलाइन क्लासेज़ से पढ़ाई कर सकते हैं।
यूजीसी के निर्णय के अनुसार अगर कोई छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे बाद में परीक्षा में भाग लेने का एक और अवसर दिया जाएगा। ऑफलाइन परीक्षा का मतलब छात्र कॉपी पेन से परीक्षा देंगे। अगर कोई छात्र अपनी पिछली परीक्षाएं नही दे पाया हो तो उसे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी।
हिसलॉप कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा नेहा हुड ने कहा, “शुरुआत से, परीक्षाओं को रद्द करने के बारे में विचार-विमर्श किया गया था और अधिकांश छात्रों ने उसके लिए अपनी तैयारी कर ली थी। हमने अपने भविष्य के अध्ययन और नौकरियों के लिए योजना बनाना भी शुरू कर दिया था। अब, इस अचानक आए फैसले के साथ, हम एक बार फिर से अपने भाग्य पर उलझन में हैं। इस सब के कारण बहुत कन्फ्यूज़न हो रहा है और हमारे माता-पिता भी उतने ही चिंतित हैं। अब, हम इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि प्रतियोगी परीक्षा या प्रवेश परीक्षा जैसी हमारे भविष्य की तैयारी करें या न करें।”
UGC द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के बाद से छात्रों और यूनिवर्सिटी के बीच कन्फ्यूज़न पहले से ज्यादा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने जहां UGC को पत्र लिखकर परीक्षा न कराने की जानकारी दी है, वहीं DU समेत अन्य यूनिवर्सिटी भी आयोग के फैसले का विरोध कर रही हैं।
UGC द्वारा फाइनल ईयर की परीक्षाएं अनिवार्य किए जाने के बाद, देश में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ने कहा है बढ़ते संक्रमण के बीच परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है तथा राज्य के कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी ऑनलाइन माध्यम से परीक्षा लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा एक आंतरिक समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य परीक्षा की घोषणा करने के एक दिन बाद, महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को लिखा है कि उनकी राय में 6 जुलाई को जारी दिशानिर्देश अनिवार्य नहीं हैं, बल्कि पहले के दिशानिर्देशों की तरह मात्र एक सलाह हैं।
यूजीसी के निर्णय के अनुसार अगर कोई छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे बाद में परीक्षा में भाग लेने का एक और अवसर दिया जाएगा। ऑफलाइन परीक्षा का मतलब छात्र कॉपी पेन से परीक्षा देंगे। अगर कोई छात्र अपनी पिछली परीक्षाएं नही दे पाया हो तो उसे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ (डूटा) ने विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की नई गाइडलाइंस के प्रति नाखुशी जताई और कहा कि आयोग ने स्टूडेंट्स के हितों की पूरी तरह से अनदेखी की है।
UGC के फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के फैसले का छात्र विरोध कर रहे हैं। छात्रों का मानना है कि आयोग ने छात्रों ने हितों को ताक पर रखकर यह फैसला सुनाया है। परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए।
जिसमें जुलाई में परीक्षाओं को कराने जैसी अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य बताते हुए इन्हें सितंबर के अंत तक कराने की अनुमति दी है।
तमिलनाडु सरकार ने सेमेस्टर परीक्षा 2020 के आयोजन का फैसला लेने के लिए एक पैनल का गठन किया है। रिपोर्टों के अनुसार, राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्रों के लिए लंबित सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के मामले को देखने के लिए 11 सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार फैसला लेगी।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हायर एजुकेशन सेकेट्री को पत्र लिखकर कॉलेज, यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए हरी झंडी दी है। पत्र में कहा गया है कि कॉलेजों के रिजल्ट तैयार करने के लिए परीक्षाएं आयोजित करना जरूरी है।
UGC द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, परीक्षाएं सितंबर अंत तक आयोजित की जा सकती हैं। संस्थानों को ऑनलाइन माध्यम से भी परीक्षाएं आयोजित करने की स्वतंत्रता होगी।
UGC ने पहले कहा था कि यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाओं का आयोजन किया जाना होना चाहिए जबकि फर्स्ट ईयर के छात्रों को प्रमोट करने की बात कही गई थी। हालांकि, फाइल ईयर के छात्रों में इसे लेकर काफी नाराजगी देखने को मिली थी।
यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन (UGC) ने ग्रेजुएशन/ पोस्ट ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द न करने का फैसला लिया है। आयोग ने माना है कि रिजल्ट जारी करने के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन, किसी भी संभव तरीके से परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए।
फिलहाल इस कैलेंडर में संस्कृत, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं के विषयों को शामिल किया गया है। इस वैकल्पिक कैलेंडर में ई-पाठशाला, NROER और दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध सब्जेक्ट वाइस सामग्री को भी शामिल किया गया है।
इस कैलेंडर में दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऑडियो बुक्स, रेडियो कार्यक्रमों आदि को भी शामिल किया गया है। कैलेंडर में अनुभव आधारित शिक्षा के लिए कला और शारीरिक शिक्षा के साथ साथ योग भी शामिल किया गया है तथा तनाव और चिंता को दूर करने के तरीके भी सुझाये गए हैं।
कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा एक 8 हफ्ते का वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी किया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने यह कैलेंडर प्राथमिक स्तर के छात्र-छात्राओं के लिए जारी किया है। इससे पहले पहले चार हफ्ते के लिए एक वैकल्पिक कैलेंडर अप्रैल माह में जारी किया गया था।
बता दें कि कुहाड समिति की अनुसंशाओं पर विचार करने के बाद यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए नई गाइडलाइन जारी की हैं। इस समिति के प्रमुख हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति आरसी कुहाड हैं।
बता दें कि, एमएचआरडी ने वर्तमान COVID-19 स्थिति और विभिन्न राज्यों में कोरोनावायरस की स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए जून के अंतिम सप्ताह में एक और समिति का गठन किया था। वर्तमान समिति ने विभिन्न व्यावसायिक निकायों जैसे AICTE, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, आर्किटेक्चर काउंसिल, फार्मेसी काउंसिल आदि से परामर्श करने के बाद यह दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
यूजीसी के निर्णय के अनुसार अगर कोई छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे बाद में परीक्षा में भाग लेने का एक और अवसर दिया जाएगा। ऑफलाइन परीक्षा का मतलब छात्र कॉपी पेन से परीक्षा देंगे। अगर कोई छात्र अपनी पिछली परीक्षाएं नही दे पाया हो तो उसे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ (डूटा) ने विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की नई गाइडलाइंस के प्रति नाखुशी जताई और कहा कि आयोग ने स्टूडेंट्स के हितों की पूरी तरह से अनदेखी की है।
UGC ने पहले कहा था कि यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाओं का आयोजन किया जाना होना चाहिए जबकि फर्स्ट ईयर के छात्रों को प्रमोट करने की बात कही गई थी। हालांकि, फाइल ईयर के छात्रों में इसे लेकर काफी नाराजगी देखने को मिली थी। अब UGC ने नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं।
यूजीसी ने इससे पहले 29 अप्रैल को जारी गाइडलाइन में सभी विवि और कालेजों से एक से पंद्रह जुलाई के बीच अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने को कहा था।
टर्मिनल सेमेस्टर / फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स जिनका बैकलॉग है , उनका अनिवार्य रूप से , संभाव्यता और उपयुक्तता को ध्यान में रखते हुए , ऑफ़लाइन (पेन और पेपर) / ऑनलाइन / मिश्रित (ऑनलाइन + ऑफलाइन) मोड में परीक्षा आयोजित कर, मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
विद्यार्थियों का परीक्षाओं में प्रदर्शन, उन्हें सर्वश्रेष्ठ उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिलाने में छात्रवृत्ति और पुरस्कार उपलब्ध कराने में, और बेहतर नौकरी /प्लेसमेंट मिलने में सहायक होता है। परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन छात्रों को अधिक आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है और योग्यता, आजीवन विश्वसनीयता और व्यापक वैश्विक स्वीकार्यता भी सुनिश्चित करता है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आज हायर एजुकेशन सेकेट्री को पत्र लिखकर कॉलेज, यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए हरी झंडी दे दी है। पत्र में कहा गया है कि कॉलेजों के रिजल्ट तैयार करने के लिए परीक्षाएं आयोजित करना जरूरी है।
UGC के दिशानिर्देश के अनुसार, हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करना अनिवार्य होगा। हालांकि, यूनिवर्सिटी/ कॉलेज ऑनलाइन माध्यम से परीक्षाएं आयोजित कर सकेंगे।
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कालेजों में परीक्षाओं के नहीं होने से सत्र के विलंब होने और प्रतियोगी परीक्षाओं के छूटने का खतरा पैदा हो गया है।
देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत द्वारा देशव्यापी तालाबंदी लागू करने के बाद सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप परीक्षाएं भी आयोजित नहीं की जा सकीं।
UGC के दिशानिर्देश के अनुसार, हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करना अनिवार्य होगा। हालांकि, यूनिवर्सिटी/ कॉलेज ऑनलाइन माध्यम से परीक्षाएं आयोजित कर सकेंगे।
जिसमें जुलाई में परीक्षाओं को कराने जैसी अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य बताते हुए इन्हें सितंबर के अंत तक कराने की अनुमति दी है।