तीन साल के लंबे कार्यकाल के बाद यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार सोमवार को अपने पद से रिटायर्ड हो गए। उन्होंने फरवरी 2022 में यूजीसी चेयरमैन का पद संभाला था। उससे पहले वह जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कुलपति थे। अब उनके जाने के बाद शिक्षा मंत्रालय की ओर से रिक्त पद के लिए किसी नए नाम की अधिसूचना जारी की जाएगी।

अपने कार्यकाल में जगदीश कुमार ने किए कई अहम काम

प्रोफेसर ममीडाला जगदीश कुमार ने यूजीसी चेयरमैन रहते हुए कई महत्वपूर्ण काम ऐसे किए जिनके लिए उन्हें और उनके कामकाज को याद किया जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों ही कोर्सेस में एडमिशन के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) की शुरुआत की। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2022 के पहलुओं को लागू करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

6 साल जेएनयू के VC रहे थे जगदीश कुमार

एम जगदीश कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान UGC CARE सूची को भंग करने का प्रस्ताव रखा और फैकल्टी भर्ती के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में लचीलेपन को बढ़ाने की वकालत की। बता दें कि जगदीश कुमार ने यूजीसी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। वह 2016 से लेकर 2022 तक JNU के वाइस चांसलर रहे थे।

जगदीश कुमार के UGC चेयरमैन रहते हुए हासिल की गई अहम उपलब्धियां

जगदीश कुमार के कार्यकाल में ही यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को साल में दो बार छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी थी। पहले के नियमों के अनुसार छात्रों को केवल जुलाई-अगस्त के दौरान ही प्रवेश दिया जाता था, लेकिन यूजीसी ने जुलाई/अगस्त के साथ-साथ जनवरी/फरवरी में भी प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का फैसला किया। यूजीसी के निर्णय ने अब संस्थानों को यह तय करने का अधिकार दे दिया है कि वे अपने बुनियादी ढांचे और संकाय के आधार पर दोनों साइकिल में एडमिशन देना चाहते हैं या किसी एक में।

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इसके अलावा यूजीसी ने अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम के लिए मसौदा पेश किया, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के स्नातक कार्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्र को इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन में डिग्री कार्यक्रम के एकीकृत घटक के रूप में अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाना है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के लिए ईशान उदय छात्रवृत्ति के लिए आवेदन प्रक्रिया को शुरू किया।

इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों की भर्ती को भी आसान बनाया गया। वाइस चांसलर पद को गैर-शैक्षणिक लोगों के लिए खोल दिया गया।

उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय को ध्यान में रखते हुए विनियम 2025 पेश किया।