टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी टेरी यूनिवर्सिटी ने एक अनूठी और रणनीतिक पहल शुरू की है। इसका नाम है द टेरी यूनिवर्सिटी स्कूल-यूनिवर्सिटी नेटवर्क (TU-SUN)। इसका मकसद हायर सेकेंड्री लेवल तक के स्कूली बच्चों को टिकाऊ विकास से जुड़ी शिक्षा देना है। इस कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों के पांच समूहों ने टेरी यूनिवर्सिटी का दौरा किया और यूनिवर्सिटी की फैकल्टी व पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के साथ संवाद किया। ये छात्र अर्जुनगढ़, रोहिणी और आरकेपुरम स्थित केंद्रीय विद्यालयों और पाथवेज़ स्कूल के थे। इन छात्रों को बाकायदा सत्र आयोजित कर टिकाऊ विकास से जुड़ी बातें बताई गई। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा 17 निर्धारित लक्ष्यों की सूची जारी करने के बाद विश्व स्तर पर टिकाऊ विकास को लेकर एक नई अवधारणा मिली है। टेरी यूनिवर्सिटी ने अपनी स्थापना के समय से ही अनेक माध्यमों से सतत टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने की पहल की है।

हाल में ही शुरू की गई पहल सन (SUN) टिकाऊ विकास से जुड़े कुछ खास मुद्दों की पूरी समझ मुहैया कराने के मकसद से शुरू की गई है, ताकि जीवन जीने के टिकाऊ तरीकों के बारे में बताया जा सके और छात्रों की समझ इतनी विकसित की जा सके कि वे दुनिया को टिकाऊ विकास के सन्दर्भ में निर्धारित लक्ष्यों के नजरिये से जान सकें। टेरी यूनिवर्सिटी के प्रो वाईस चांसलर प्रोफेसर राजीव सेठ ने कहा, ‘बच्चे टिकाऊ विकास का अहम आयाम हैं। उनकी पूर्ण क्षमता का विकास और टिकाऊ विकास के माहौल में रहना उनका हक़ है। हमारा सन प्रोग्राम इस विचार पर आधारित है कि स्कूली बच्चे टिकाऊ विकास के लिए काम करने वाले अहम कड़ी हैं और वे निजी जिंदगी में भी रोज इस दिशा में पालन किये जाने वाले सिद्धान्तों पर अमल कर सकते हैं।” यह प्रोग्राम यूनिवर्सिटी के चुनिंदा पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों द्वारा संचालित किया जा रहा है। इन छात्रों का चयन फैकल्टी के सक्रिय सहयोग से किया गया है। प्रोग्राम के पहले चरण में अब तक दिल्ली/एनसीआर के पांच स्कूलों को कवर किया जा चुका है। इस साल इस क्षेत्र के 30 स्कूलों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इनमें से ज्यादातर केंद्रीय विद्यालय और कुछ प्राइवेट स्कूल होंगे।

प्रोग्राम के तहत सम्बंधित स्कूलों के बच्चे 15 दिन के भीतर दो बार दो घंटे के लिए टेरी यूनिवर्सिटी के कैंपस में आते हैं। इस दौरान उन्हें टिकाऊ विकास से जुड़े चुनिंदा थीम के बारे में बताया जाता है। दूसरे चरण में 40 स्कूलों के 1200 बच्चों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है। इनमें ज्यादातर म्युनिसिपल स्कूलों के बच्चे होंगे। वित्तीय मदद लेकर टेरी यूनिवर्सिटी इस प्रयास को और ऊंचाईयां देगा। टेरी यूनिवर्सिटी में सन प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर डॉ. गोपाल के सारंगी कहते हैं, ‘सस्टेनेबिलिटी पर मौजूदा पाठ्यक्रम में जो कुछ भी है वह पारंपरिक पैटर्न पर आधारित है। यह समग्र नहीं है और न ही इसमें टिकाऊ विकास के मुख्य मुद्दे को पर्याप्त महत्व दिया गया है। सन प्रोग्राम व्यवस्थित तरीके से इस कमी की पूर्ति करने के मकसद से तैयार किया गया है। इसीलिए इसमें टिकाऊ विकास से जुड़े पांच मुख्य मुद्दों की पहचान कर उस पर फोकस किया गया है। ये हैं- जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा की क्षमता, शहरी सस्टेनेबिलिटी, कूड़ा व जल प्रबंधन। इन्हीं थीम पर छात्रों को जानकार और जागरूक बनाया जाएगा। प्रोग्राम का पहला चरण चल रहा है और छात्रों व स्कूलों से इसे मिल रही जबरदस्त प्रतिक्रिया हमारा उत्साह बढ़ा रहा है।’