Pariksha Pe Charcha 2021, PM Modi Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 7 अप्रैल को शाम 7 बजे “परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम में देशभर से स्टूडेंट्स, शिक्षक और अभिभावकों से संवाद किया। कार्यक्रम में पीएम ने बच्चों के परीक्षा आदि से जुड़े सवालों का बड़ी बेबाकी और सहजा से सामना किया। साथ ही एग्जाम से जुड़ी उनकी शंकाओ को भी दूर किया। कार्यक्रम में भारत ही नहीं विदेशों से भी बच्चों शामिल हुए जो परीक्षा के समय तैयारी और पढ़ाई के प्रेशर से बचने के टिप्स पूछे।
कार्यक्रम के लिए 14 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स, शिक्षक और अभिभावकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। पीएम ने न सिर्फ बच्चों बल्कि कार्यक्रम में शिक्षकों और पैरेंट्स के भी कई सवालों के जवाब दिए। बच्चों के सवाल के जवाब में PM ने परीक्षा के साथ करियर, जेनेरेशन गैप, पौष्टिक खान-पान आदि पर भी विचार प्रकट किए। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में बिना डरे परीक्षा की तैयारी कैसे करें?
कोरोना के कारण इस बार परीक्षा पे चर्चा ऑनलाइन हुआ। बोर्ड एग्जाम के फियर के बीच पीएम ने कठिन विषयों, एग्जाम प्रेशर, मार्क्स, एडमिशन आदि जैसे विषयों पर बच्चों के कनफ्यूजर दूर कर डाले।
पीएम ने ट्वीट करके परीक्षा पे चर्चा का समय और तारीख बताई थी। साथ ही लिखा था “एक नया प्रारूप, विषयों की एक श्रृंखला पर कई दिलचस्प सवाल और हमारे बहादुर योद्धाओं, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ एक यादगार चर्चा। सात अप्रैल को शाम सात बजे देखिए ‘परीक्षा पे चर्चा।” पीएम ने कहा कि वह परिवार के सदस्य के रूप में छात्रों को परीक्षा संबंधी दबाव से उबरने में मदद करना चाहते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबाेधन के अंत में विद्यार्थियों को जीवन का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, आज मैं आपको एक बड़े एग्जाम के लिए तैयार करना चाहता हूं। ये बड़ा एग्जाम है जिसमें हमें शत-प्रतिशत मार्क्स लेकर पास होना ही है। ये है- अपने भारत को आत्मनिर्भर बनाना। ये है वोकल फॉर लोकल को जीवन मंत्र बनाना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एग्जाम के लिए एक कसौटी शब्द है. जिसका मतलब खुद को कसना और तैयार करना है. एग्जाम एक तरह से जिंदगी जीने के लिए एक उत्तम अवसर की तरह है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पढ़ाई का मंत्र देते हुए कहा कि कठिन चीज को पहले करना चाहिए. कठिन को हल करने के बाद सरल चीजे करना आसान हो जाएगा।
एक बच्ची ने जेनेरेशन गैप पर पीएम से सवाल पूछा। इस सवाल पर पीएम ने मां-बाप से बच्चों के साथ हमउम्र बनकर जुड़े रहने की सीख दे डाली। पीएम ने कहा- मां-बाप बच्चों को छुटपन से टेड़ी-मेड़ी शक्लें बनाकर, डरावनी चीजों से धमकाने की आदतों को छोड़ दें। उन्हें उम्र, अनुभव के लेक्चर बार-बार न दें। बच्चे के जमाने से तालमेल मिलाने, संगीत, फिल्मों में रूची लेने की कोशिश करें। पीएम ने कहा, बच्चों के बीच जेनेरेशन गैप कम करने के लिए बच्चों और बड़ों को खुले मन से एक-दूसरे को समझना होगा।
गुजरात से धारवी बोपट नाम की 11वीं की एक छात्रा ने पीएम मोदी से डपटती आवाज में सवाल पूछा। वो पूछने लगीं कि कोरोना महामारी में क्या आपने छात्रों के नुकसान के विषय में सोचा है? पीएम बच्ची के इस सवाल पर डर गए और उन्होंने कहा कोरोना ने देश का युवाओं का बड़े स्तर पर नुकसान किया है। महामारी में सिर्फ शिक्षा ही नहीं खेल-कूद तक से दूर बच्चे घरों में कैद हो गए। पीएम ने कहा- इस महामारी में हम Online शिक्षा के महत्व को समझे हैं, हमने बच्चों की पढ़ाई के नुकसान को कम करने और ऐसी चुनौतियों के लिए भविष्य में तैयार रहने इंतजाम सीख लिए हैं।
PPC में एक बच्चे ने एग्जाम हॉल में फील होने वाले डर पर सवाल पूछा। इस पर पीएम ने एग्जाम हॉल में टेंशन फ्री होकर जाने की सलाह दी। साथ ही पीएम ने एग्जाम वॉरियर किताब के नये संस्करण से टिप्स लेने की बात कही।
कमजोर मेमोरी को लेकर एक छात्रा ने सवाल पूछा इस पर पीएम ने मातृभाषा आदि को सीखने के उदाहरण दिए। बचपन में हमें कुछ चीजों को रटाया नहीं जाता लेकिन हमें याद रहती हैं। उन्होंने कहा पसंदीदा चीजें हमें हमेशा याद रहती हैं। जिन चीजों से हम जुड़ जाते हैं वो याद रहती हैं। बच्चों को परीक्षा में याद करने के लिए मेमोरी पर इसी तरह काम करना चाहिए। इस पर पीएम ने विजुलाइज करके चीजों को याद रखने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री से एक महिला ने आज के समय में बच्चों के जंक फूड की आदतों पर सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि बच्चे खाना नहीं खाते लेकिन जंक फूड को ही ललचाते हैं। इस पर पीएम ने कहा ये सवाल मेरे लिए आउट पोस्ट ऑफ सिलेबस है लेकिन पौराणिक और क्रिएटिव तरीके से हम बच्चों के खानपीन की आदतें बदल सकते हैं। साथ ही मां-बाप बच्चों को ये बताएं कि खाना कितनी अथक मेहनत से उनकी थाली तक पहुंचता है, इससे वह अन्न का सम्मान करना सीखेंगे। टीचर्स भी बच्चों को कहानी आदि के माध्यम से पौषिटिक खाने-पीने को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के सामने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में एक थोड़ा अलग हटकर सवाल सामने आया। नमो App पर आए इस सवाल में एक पिता ने पीएम से पूछा- आज के समय में बच्चों को पालना ज्यादा मुश्किल है। उन्हें अच्छे संस्कार देने कैसे प्रयास करें? इस पर पीएम ने मां-बाप को ही अपने व्यवहार में बदलाव करने की सीख के साथ नौकरों के साथ बुरा व्यवहार करने पर फटकार लगा दी। पीएम ने कहा। मां-बाप बच्चों को अपने चश्मे से न देखें, उनके सामने अपने हाउस-हेल्पर्स के साथ बुरा बर्ताव करेंगे तो वो आपसे कुछ अच्छा नहीं सीखेगा। आपको बच्चों को अच्छे उदाहरण अपने क्रियाकलापों से ही पेश करने पड़ेंगे।
परीक्षा पे चर्चा के चौथे संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से अपनी एक आदत का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि, खाली समय में आज भी वो बच्चों वाली अपनी एक आदत को नहीं छोड़ पाए हैं। पीएम ने बताया, आज भी मैं झूला देखकर उसपर बैठ जाता हूं औॉर जब मौका मिलता है झूला, झूल लेता हूं। इससे मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है।
प्रधानमंत्री से एक बच्चों ने खाली समय का सदुपयोग करने को टिप्स मांगे। पीएम को बच्चे का ये सवाल बहुत पसंद आया क्योंकि एग्जाम के समय अपने लिए टाइम निकालना बेहद जरूरी होता है। इससे बच्चा रोबोट बनने से बचेगा। इस खाली समय में पीएम ने बच्चों से परिवार के साथ घरेलू कामों में मदद, खुद को एक्सप्लोर करने, रिलेक्स करने और कुछ क्रिएटिव काम जैसे पेंटिंग, ड्राइंग स्टोरी राइटिंग सीखने की सलाह दी।
पीएम ने कार्यक्रम में शिक्षकों को कमजोर बच्चों के प्रति ज्यादा उदार होने की अपील की। उन्होंने कहा, शिक्षक बच्चों को क्लास में ताने न दें, बल्कि पास बुलाकर किसी रोज उनके सिर पर हाथ रखकर प्यार से उसकी अद्भुत खूबियों के लिए सराहना करें। वो बच्चा भले पढ़ाई में अच्छा न हो लेकिन दूसरे क्रियाकलाप में दूसरों से बेहतर हो तो उसकी भी तारीफ करें। कमजोर बच्चों को शिक्षक एक्स्ट्रा प्यार दें इससे उसे आगे बढ़ने में ताकत मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने बच्चों को एग्जाम को जीवन में एक जरूरी हिस्से की तरह लेने की सीख दी। परीक्षा पूरा जीवन नहीं है ये बस एक हिस्सा है। वहीं उन्होंने गणित, साइंस, फिजिक्स, केमिस्ट्री जैसे कठिन विषयों से डरने वाले छात्रों को स्वर कोकिला लता मंगेशकर का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, दुनिया भर में सफल लोग हर चीज में एक्सपर्ट नहीं होते हैं लेकिन वो किसी एक चीज में महारत रखते हैं। ऐसे ही लता मंगेशकर भले किसी स्कूल में जाकर भूगोल न पढ़ा पाएं लेकिन संगीत में उनका कोई मुकाबला नहीं।
PPC कार्यक्रम में एक शिक्षक ने बच्चों के कठिन विषयों को लेकर मन में बैठे डर को लेकर सवाल पूछा। इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने पसंद-नापसंद और मुश्किल लगने वाली चीजों से भागने की प्रवृत्ति पर बात की। उन्होंने कहा कि, बच्चे को उसकी पसंद के सब्जेक्ट्स पढ़ने दिया जाए तो वह आसान लगने वाली चीजों में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। साथ ही पीएम ने बच्चों को कठिन विषयों को एक चुनौती की तरह लेने की सीख दी। इसके लिए उन्होंने अपने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के सफर का उदाहरण पेश किया।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री एग्जाम फियर और पैरेंट्स द्वारा घर में बनाए गए एग्जाम प्रेशर पर भी सवाल उठाते हैं। उन्होंने माता-पिता को कहा कि बच्चों को एग्जाम के समय डराना-धमकाना बहुत गलत है। आज के समय में मां-बाप बच्चों के सामर्थ्य का आंकलन करने तक के लिए उनके रिपोर्ट कार्ड्स पर निर्भर हो गए हैं। बच्चों की दूसरी खूबियों को मां-बाप मार्क ही नहीं कर पाते हैं।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री बच्चों के सवालों के जवाब दे रहे हैं। इसमें 9वीं में पढ़ने वाली पल्लवी पीएम से एग्जाम के समय प्रेशर बढ़ जाने को मेन्टेन करने को लेकर सवाल पूछती हैं। वहीं मलेशिया से अर्पण एग्जाम के बाद मार्क्स और अच्छे स्कूल में एडमिशन की शंकाओं को दूर करने की बात करते हैं। पीएम ने इन दोनों सवालों के जवाब देने के लिए बच्चों के मन से एग्जाम फियर को निकालने में मदद की। उन्होंने कहा उस माहौल पर ध्यान मत दीजिए जो आपको ये एहसास दिलाता है कि सिर्फ बोर्ड परीक्षा ही जीवन है।
पीएम ने परीक्षा पे कार्यक्रम की शुरुआत में बताया कि यह कार्यक्रम कोविड महामारी के बीच यह पहला वर्चुअल सेमिनार है। इस कारण पीएम ने बच्चों और पैरेंट्स से सीधे तौर पर न मिलने पर अफसोस जताया। साथ ही यह कहा कि कार्यक्रम भले परीक्षा पर चर्चा है लेकिन सिर्फ परीक्षा पर चर्चा करना ही इसका उद्देश्य नहीं है। हल्की-फुल्की घरेलू बातें की जा सकती हैं।