CBSE 10th Result 2019: नोएडा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले 10वीं के छात्र विनायक श्रीधर बचपन से एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखता थे। वह महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग को अपना आदर्श मानते थे और इस साल सीबीएसई की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में टॉप करना चाहते थे। लेकिन अपने आखिरी दो विषयों की परीक्षाएं देने से पहले ही मार्च में उनकी मौत हो गई। वहीं अब रिजल्ट आया तो पता चला कि श्रीधर को इंग्लिश में 100 नंबर मिले हैं। रिजल्ट देख उनकी मां ने कहा, ‘‘अगर मेरा बेटा जिंदा होगा तो टॉप करता।’’

तीन एग्जाम देने के बाद हो गई थी मौत: बता दें कि विनायक के सीबीएसई की दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी विषय में 100, विज्ञान में 96 और संस्कृत में 97 मार्क्स मिले हैं। वहीं बीमारी से मौत के चलते वो बाकी दो एग्जाम नहीं दे पाए। दरअसल श्रीधर 2 साल की उम्र से मस्क्युलर डायस्ट्रोफी नाम की बीमारी से ग्रस्त थे। गौरतलब है कि मस्क्युलर डायस्ट्रोफी एक तरह की जेनेटिक बीमारी होती है, जिसके अंतर्गत मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। शरीर में डायस्ट्रोफी प्रोटीन की अनुपस्थिति के कारण यह समस्या होती है। गौर करने वाली ये है कि बीमारी के बाद भी विनायक ने स्पेशल कैटेगरी में नहीं, बल्कि जनरल कैटेगिरी में परीक्षा दी थी और इतने अच्छे अंक हासिल किए थे।

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स्क्राइबर की ली मददः विनायक की मां ममता श्रीधर ने कहा, ‘विनायक की मांसपेशियों का मूवमेंट बहुत सीमित था। वह धीरे-धीरे लिख पाता था, चूंकि परीक्षा में टाइम ड्यूरेशन होता है तो उसने अंग्रेजी और विज्ञान की परीक्षा में स्क्राइब (मददगार) का इस्तेमाल किया। हालांकि, उसने संस्कृत की परीक्षा खुद लिखने की जिद की। वह व्हीलचेयर पर रहता था, लेकिन उसका दिमाग बहुत तेज था और महत्वाकांक्षाएं काफी ज्यादा थीं।’

स्टीफन हॉकिंग को आयडल मानता था श्रीधर: ममता ने बताया, ‘विनायक हमेशा कहता था कि मैं एस्ट्रोनॉट बनना चाहता हूं। वह कहता था कि अगर स्टीफन हॉकिंग ऑक्सफोर्ड जाकर कॉस्मोलोजी में अपना नाम रोशन कर सकते हैं तो मैं भी अंतरिक्ष में जा सकता हूं। उसे इस बात पर भरोसा था कि उसका नाम टॉपर्स की लिस्ट में रहेगा। उसका आत्मविश्वास देखकर हमें हैरानी होती थी। ऐसे में हम उसे प्रोत्साहित करते थे।’ बता दें कि प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिकविद स्टीफन हॉकिंग भी मोटर न्यूरोन नाम की बीमारी से पीड़ित थे।

रामेश्वरम घूमने का बनाया था प्लानः ममता ने बताया कि विनायक ने परीक्षा के बाद कन्याकुमारी के पास रामेश्वरम मंदिर घूमने का प्लान बनाया था। उन्होंने कहा, ‘हम आज रामेश्वरम में हैं और शाम को दर्शन के लिए जाएंगे। यहां आना विनायक की अधूरी ख्वाहिश थी। इसलिए हमने इसे न टालने का फैसला किया।’