केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री (एचआरडी) प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय अप्रैल 2018 तक अस्तित्व में आ जाएंगे। उच्च शिक्षा में सुधार के मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि संस्थानों को ज्यादा और श्रेणीबद्ध स्वायत्तता देने की दिशा में काम हो रहा है, लेकिन केंद्रीय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की जगह एक नियामक निकाय लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री ने आने वाले दिनों में बिना स्नातकोत्तर की डिग्री के भी पीएचडी (शोध) करने का प्रावधान लागू किए जा सकने की अपनी मंशा जाहिर की।
जावड़ेकर ने कहा कि अगले साल अप्रैल तक 10 निजी और 10 सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ जाएंगे और इसके लिए इसी महीने विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा। कैबिनेट सचिव, उच्च शिक्षा सचिव और यूजीसी अध्यक्ष की कमिटी अलग-अलग क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों का चयन कर एक समिति का गठन करेगी। यह समिति देश के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वविद्यालयों से आवेदन मंगवाएंगी। इन संस्थानों को तीन महीने का समय दिया जाएगा जिसके अंदर वह अपनी भावी योजना (विजन प्लान) बताएंगे कि कैसे वे अगले 10 सालों में अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में पहले 200 रैंक के अंदर आएंगे और फिर उसके बाद 100 रैंक के अंदर। इस विजन प्लान का मूल्यांकन प्रबुद्ध लोगों की समिति करेगी और 20 विश्वविद्यालयों का चयन किया जाएगा। पंद्रह अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी चर्चा की थी और कहा था कि इन विश्वविद्यालयों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा, सरकार इनके लिए 1000 करोड़ रुपए का फंड देने को इच्छुक है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पूरे विश्व में श्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानें सरकार के नियंत्रण से मुक्त होती हैं और हमारे देश में भी सरकार और संसद फंड देकर भूलने की कवायद को अपनाना सीख रही है।
उच्च शिक्षा में सुधारों के मुद्दे पर केंद्रीय एचआरडी मंत्री ने कहा कि यूजीसी को खत्म करना या एआइसीटीई के साथ विलय सुधार नहीं है बल्कि वह स्वायत्तता और अन्य बदलावों के जरिए सुधार लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘आज एक बीटेक पास शोध नहीं कर सकता क्योंकि वह एमटेक नहीं है। लेकिन, मैं चाहता हूं कि बीटेक भी कुछ अनुभव और व्यावसायिक करियर के आधार पर शोध कर सके, पीएचडी पूरा कर सके, वह फैकल्टी के लिए उपयुक्त हों’। इसके लिए पीएचडी में प्रवेश योग्यताओं में बदलाव के प्रश्न पर जावड़ेकर ने कहा कि वे नए सुझावों के लिए तैयार हैं। यूजीसी और एआइसीटीई सुधार पर जावड़ेकर ने कहा कि 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों सहित 20 भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) को पूरी स्वायत्तता होगी, वहीं शीर्ष के 20 फीसद संस्थानों को 80 फीसद स्वायत्तता होगी और अगले 40 फीसद को 50 फीसद स्वायत्तता होगी और शेष पर नियमन जारी रहेगा। लेकिन कई सुधार किए जाएंगे।
इसके साथ ही केंद्रीय एचआरडी मंत्री ने कहा कि यह पहली बार होगा जब भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) में पूर्व छात्रों को संस्थान के संचालन में शामिल किया जाएगा। इस संबंध में संसद के मानसून सत्र में विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है। भावी योजनाओं पर जावड़ेकर ने कहा कि देश के लोगों में गुणात्मक शिक्षा की भूख असीमीत है। उन्होंने कहा कि अक्तूबर में मंत्रालय शिक्षा के सभी हितधारकों के साथ 3 दिनों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसमें डिजीटल शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, मूल्य शिक्षा, जीवन शिक्षा और अनुभवात्मक शिक्षा पर चर्चा होगी।
