गुजरात के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली रूबी प्रजापति नीट यूजी परीक्षा पास करने के बाद अब दिल्ली के वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल में दाखिला ले चुकी हैं और डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं। रूबी एक साधारण परिवार से आती हैं, लेकिन उन्होंने घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होते हुए भी कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और देश के टॉप अस्पताल के मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया।
इस घटना ने डॉक्टर बनने के लिए किया प्रेरित
रूबी ने जो डॉक्टर बनने का सपना देखा उसके पीछे कई कारण हैं। उनमें से एक कारण यह भी है कि उन्होंने अपने गांव में लोगों को मेडिकल सुविधाओं से वंचित देखा। उन्होंने ऐसे लोगों को देखा जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। उन्होंने अपने गांव में मेडिकल सुविधाओं की कमी को देखा। इसके अलावा उनके जीवन में घटी एक दुखदायी घटना ने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। दरअसल, रूबी ने 9 साल पहले अपने छोटे भाई को खो दिया था। इसके अलावा वह टीबी की शिकार भी हो गई थीं।
रूबी के परिवार में कौन-कौन है?
रूबी ने यह सब जानकारी इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताई है। उन्होंने बताया है कि उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक बड़ा भाई है। पिता ऑटो चलाते हैं और मां गृहिणी हैं। परिवार में एक छोटा भाई भी था, लेकिन 9 साल पहले टीबी की वजह से उसका निधन हो गया। उस घटना ने रूबी को परिवार का एक स्तंभ बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
यूट्यूब चैनल भी चलाती हैं रूबी
रूबी प्रजापति एमबीबीएस की छात्रा होने के अलावा एक YouTuber भी है। यूट्यूब पर उनके 14.9K सब्सक्राइबर हैं। अपने वीडियोज में रूबी अपने दैनिक जीवन के व्लॉग के साथ-साथ NEET UG को क्रैक करने के तरीके के बारे में भी बताती हैं। मार्गदर्शन करती है। 2018 में टीबी से ठीक होने के बाद उन्होंने नीट यूजी की तैयारी शुरू की थी। अपने चौथे प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा क्रैक की। रूबी ने साल 2023 में 635 मार्क्स हासिल किए थे।
चाचा ने उठाया पढ़ाई का खर्चा
रूबी ने सरकारी स्कूल से अपनी सीनियर सेकेंडरी शिक्षा पूरी की। उसकी पहली बड़ी चुनौती कोचिंग की फीस देना था। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते माता-पिता ट्यूशन का खर्च नहीं उठा पा रहे थे। ऐसे में रूबी के चाचा ने एक साल के लिए उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया। चाचा के ही सही मार्गदर्शन ने रूबी को कोचिंग का रास्ता दिखाया। रूबी अपनी सफलता के बारे में कहती हैं कि मैंने पहले संघर्ष किया और निराश महसूस किया। चार प्रयासों के बाद, मैंने आखिरकार प्रवेश परीक्षा पास कर ली। यह आसान नहीं था।