भारत को आजादी 15 अगस्त, 1947 को मिली थी लेकिन ये आजादी अपने साथ लाई थी बंटवारे का कभी न भरने वाला जख्म, जो हर साल देश के लोगों के बीच एक दर्द की लहर लेकर आता है। बंटवारे के दौरान हुई हत्याएं और लूट की घटनाओं ने दोनों तरफ से करोड़ों लोगों को न सिर्फ प्रभावित किया बल्कि उनका जीवन भी हमेशा के लिए बदल दिया था। विभाजन की इस विभीषिका को छात्रों तक पहुंचाने के लिए एनसीईआरटी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक नया मॉड्यूल जारी किया है, जिसमें बंटवारे के पीछे जिम्मेदार लोगों के बारे में बताया गया है।
क्यों दिलचस्प है एनसीईआरटी का नया मॉड्यूल ?
आजाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब विभाजन की विभीषिका पर आधिकारिक तौर पर छात्रों के बीच जानकारी साझा की जा रही है। एनसीईआरटी का नया मॉड्यूल भारत विभाजन के लिए इतिहास के तीन बड़े नामों को जिम्मेदार मानता है, जिसमें पहला नाम पाकिस्तान के जनक कहने जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना, दूसरा नाम कांग्रेस और तीसरा नाम लॉर्ड माउंटबेटन का है।
एनसीईआरटी मॉड्यूल के अनुसार, मोहम्मद अली जिन्ना की अलग देश पाकिस्तान बनाने की मांग पर कांग्रेस पार्टी ने झुकना स्वीकार किया और उसके बाद लॉर्ड माउंटबेट द्वारा बंटवारे की पूरी प्रक्रिया को बहुत जल्दबाजी में पूरा किया किया।
क्या भारत विभाजन जरूरी था ?
एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में भारत विभाजन के इस पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है कि क्या भारत का विभाजन कर नया देश पाकिस्तान बनाना जरूरी था। मॉड्यूल कहता है कि उन हालातों में भारत विभाजन जरूरी नहीं था लेकिन गलत विचारों और परिस्थितियों के चलते ये बंटवारा हुआ। जिन्ना की पाकिस्तान जिद के आगे झुकते हुए कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया जिसके लिए इसे देश को गृहयुद्ध से बचाने का शांतिपूर्ण तरीका बताया गया, हालांकि, इस बंटवारे का विरोध महात्मा गांधी ने किया था
माउंटबेटन ने बदली आजादी की तारीख
जिन्ना की पाकिस्तान जिद और कांग्रेस पार्टी के झुकने के बाद लार्ड माउंटबेटन परिस्थितियों के बिगड़ने से पहले अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ने जाने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करना चाहते थे, जिसके चलते उनके द्वारा आजादी की तय तारीख जून 1948 को बदलते हुए नई तारीख 15 अगस्त 1947 निर्धारित की गई। माउंटबेटन की हड़बड़ी में बदली गई आजादी की तारीख का लोगों के बीच गलत संदेश गया जिसके चलते विभाजन की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई और लाखों लोग हिंसा का शिकार हुए। एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में माउंटबेटन द्वारा द्वारा की गई जल्दबाजी के चलते उपजी गड़बड़ी को विभाजन की त्रासदी के मुख्य कारणों में से एक बताया गया है।
एनसीईआरटी के 14 अगस्त को जारी किया विशेष मॉड्यूल
एनसीईआरटी ने Partition Horrors Remembrance Day को 14 अगस्त के दिन जारी किया था, जिसके अनुसार, 1947 में हुआ भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का प्रभाव सिर्फ उस समय ही नहीं बल्कि वर्तमान में नजर आता है, जिसमें पाकिस्तान के साथ बिगड़ते संबंध, पीओके विवाद और रक्षा बजट में होती बढ़ोतरी प्रमुख रूप से देखी जा सकती है।