शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार राष्ट्रीय आय सह मेधा छात्रवृत्ति योजना (एनएमसीएमएसएस) का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी विद्यार्थियों की आठवीं कक्षा के स्तर पर बीच में पढ़ाई छोड़ने (ड्राप आउट) के चलन को रोकना और ऐसे विद्यार्थियों का माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसमें कहा गया है कि नौवीं कक्षा से हर साल चयनित विद्यार्थियों को एक लाख छात्रवृत्ति प्रदान की जाती हैं।
यह छात्रवृत्ति राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकायों के स्कूलों में पढ़ने वाले नौवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाई जारी रखने में सहयोग के लिए प्रदान की जाती है। इसके तहत हर साल 12,000 रुपए छात्रवृत्ति दी जाती है। मंत्रालय के अनुसार, एनएमसीएमएसएस के तहत 2022-23 के लिए आवेदन करने की तिथि को 31 अक्तूबर तक बढ़ा दिया गया है। यह छात्रवृत्ति चयनित विद्यार्थियों को सीधे उनके बैंक खाते में प्रदान की जाती है। यह सौ फीसद केंद्र प्रायोजित योजना है।
अगले साल जुलाई से शुरू हो जाएगा डिजिटल विश्वविद्यालय
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत जुलाई 2023 से डिजिटल विश्वविद्यालय की शुरूआत हो जाएगी और इसके कुछ पाठ्यक्रम कौशल विकास से जुड़े होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ समय में डिजिटल विश्वविद्यालय का खाका तैयार करने पर विभिन्न पक्षों की ओर से काफी चर्चा हुई जिसकी शुरुआत अगले साल जुलाई से होगी।
कुमार ने कहा कि शुरुआत में कौशल विकास आधारित ज्यादा से ज्यादा पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना है और मुख्य जोर इस बात पर है कि विद्यार्थियों को कौशल आधारित प्रशिक्षण मिले और पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी हों। डिजिटल विश्वविद्यालय की पहल से सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) जुड़ेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें विद्यार्थियों को बहु प्रवेश और निकास जैसे विकल्प मिलेंगे और अकादमिक ‘बैंक आफ क्रेडिट’ सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।
आइपी के एमबीए पाठ्यक्रम में 25 अक्तूबर तक आवेदन का मौका
दिल्ली स्थित गुरु गोबिंद इंद्रप्रस्थ (आइपी) विश्वविद्यालय के ‘लैटरल एंट्री’ एमबीए (अग्नि एवं जीवन सुरक्षा प्रबंधन) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 25 अक्तूबर तक आवेदन किया जा सकता है। इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए योग्यता सूची पीजी डिप्लोमा के प्राप्तांक, उद्योग अनुभव और साक्षात्कार के प्राप्तांक के आधार पर बनाई जाएगी।
स्वायत्त कालेजों के लिए यूजीसी ने बनाया नया मसविदा
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ‘स्वायत्त कालेज विनियम 2022’ के लिए नया मसविदा तैयार किया है। इसके मुताबिक 15 साल तक स्वायत्त रहने वाले कालेज को आजीवन स्वायत्तता मिल जाएगी। नए विनियम में यूजीसी की ओर से कालेज को मिलने वाले ‘फंड’ को लेकर स्पष्टता नहीं है। नए विनियम साल 2018 में लागू हुए विनियम का स्थान लेंगे।
नए विनियम का मसविदा सभी हितधारकों की राय के लिए जारी किया गया है। ये विनियम स्वायत्त कालेजों को अध्ययन और पाठ्यक्रम के अपने स्वयं के पाठ्यक्रम निर्धारित करने और निर्धारित करने के लिए स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। इसके साथ ही ये विनियम नौकरी की आवश्यकताओं के अनुरूप कालेजों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रमों का पुनर्गठन करने की स्वतंत्रता देते हैं।
इसके अलावा स्वायत्त कालेज अपने स्वयं के प्रवेश नियम निर्धारित कर सकते हैं। इसके साथ ही स्वायत्त कालेज मूल्यांकन के तरीके विकसित करने, परीक्षाओं का संचालन और परिणाम की अधिसूचना आदि में अनुसंधान को बढ़ावा भी दे सकेंगे। नए विनियम के मसविदे के मुताबिक कालेजों को शुरुआत में केवल दस साल के लिए स्वायत्तता दी जाएगी।
इसके बाद कालेज को फिर से आवदेन करना है। कालेज को स्वायत्तता प्राप्त होने के 15 साल बाद कालेज को हमेशा के लिए स्वायत्तता दे दी जाएगी। इसके अलावा अब दो स्वायत्त कालेज मिलकर एक भी हो सकेंगे। कालेज के शासी निकाय (जीबी) में यूजीसी की ओर से कोई नामित सदस्य नहीं होगा।