साल 2024 का आखिरी महीना जैसे-जैसे गुजर रहा है वैसे-वैसे हम 2025 में प्रवेश करने के और नजदीक आ रहे हैं। यह साल हर सेक्टर में कई बड़े बदलावों को लेकर याद किया जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी इस साल कई बदलाव हुए हैं जिन्होंने एग्जाम पैटर्न को काफी चेंज कर दिया। इस आर्टिकल में हम आपको इस साल के ऐसे ही कुछ बदलावों के बारे में बताएंगे जिन्हें UGC ने लागू किया।
कोर्स की अवधि चुनने का विकल्प मिलेगा
UGC ने उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) के लिए त्वरित डिग्री कार्यक्रम (ADP) और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (EDP) की पेशकश करने के लिए एक SOP को मंजूरी प्रदान की। इसमें अंडरग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई कर रहे छात्रों को अपने डिग्री कार्यक्रमों की मानक अवधि के बजाय अपने अध्ययन की अवधि को कम करने या बढ़ाने का विकल्प मिलेगा। ADP के तहत छात्रों को हर सेमेस्टर में एक्स्ट्रा पॉइंट लेकर कम समय में तीन साल या चार साल की डिग्री को पूरा करने की सुविधा देगा। वहीं EDP के तहत, स्टूडेंट्स को हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट के साथ टाइमलाइन को बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।
4 साल का डिग्री कोर्स 3 साल में होगा पूरा!
यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने घोषणा की थी कि शिक्षा निकाय छात्रों के लिए तेजी से डिग्री पूरा करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसका मतलब है कि छात्रों को जल्द ही 3 साल का डिग्री कोर्स 2.5 साल में और 4 साल का कोर्स 3 साल में पूरा करने की अनुमति दी जाएगी।
NET 2024 में Ayurveda Biology को बनाया गया सब्जेक्ट
यूजीसी ने दिसंबर 2024 चक्र से शुरू होने वाले यूजीसी-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में आयुर्वेद जीव विज्ञान को एक नए विषय के रूप में पेश किया है। आयुर्वेद जीवविज्ञान को जोड़ना उच्च शिक्षा में पारंपरिक भारतीय ज्ञान को शामिल करने पर यूजीसी के फोकस के अनुरूप है।
प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया में हो सकते हैं बदलाव
UGC ने इस साल इस बात के भी संकेत दिए कि प्रोफेसरों की नियुक्ति में भी बदलाव किए जाएं। नए नियमों के अनुसार, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारक जो उद्यमिता, स्टार्टअप और इंडस्ट्री पार्टनरशिप जैसे नए क्षेत्रों को लेकर पैशनेट हैं उन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों में सीधे अपॉइंट किया जा सकता है। मौजूदा नियमों के अनुसार, चार वर्षीय स्नातक/पीजी के साथ पीएचडी होना प्रोफेसर के रूप में भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता है। इसके साथ ही उसी विषय में स्नातक/स्नातकोत्तर और पीएचडी होना भी अनिवार्य है।