‘मानुषि-महिला पर और महिला द्वारा लेखन’ के विषवस्तु के साथ शनिवार को नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का 25वां संस्करण शुरू हुआ। आयोजकों के मुताबिक इस बार मेले में देश-विदेश के 800 से अधिक प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं। एशिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक इस नौ दिवसीय मेले का उद्घाटन केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया लेखिका प्रतिभा राय और भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के राजदूत तोमस कोज्लोव्स्की इस मौके पर विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। इस मेले में थीम पैवेलियन के बारे में राय ने कहा कि साहित्य ‘लिंग और भूगोल से परे’ है और महिला लेखन पर खंड वास्तव में मानव लेखन पर केंद्रित है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस साल मानव लेखन पर जोर दिया गया है।
यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा, ‘ऐसी धारणा है कि हमारे सामाजिक जीवन में पारंपरिक पुस्तकों की भूमिका, इंटरनेट और अन्य प्रौद्योगिकियों के आने के साथ खत्म हो जाएगी। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि किताबें शायद प्रौद्योगिकी का सबसे महत्त्वपूर्ण रूप हैं’। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में दिए गए एक बयान का संदर्भ देते हुए पांडेय ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत अहम बात कही कि पुस्तकें साहित्य, संगीत और कला का एक अहम हिस्सा हैं। अगर पुस्तकें नहीं होंगी तो आज के प्रौद्योगिकी के युग में कोई भी मानव को रोबोट में तब्दील होने से नहीं बचा सकता’।