देश में दो साल की अवधि में बैचलर आफ इंजीनियरिंग (बीई) और बैचलर आफ टेक्नोलाजी (बीटेक) में कुल 928 विद्यार्थियों में क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से दाखिला लिया है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। कांग्रेस सांसद अमी याज्ञिक ने सवाल किया था कि क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से बैचलर आफ इंजीनियरिंग और बैचलर आफ टेक्नोलाजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की राज्यवार और भाषावार कुल कितनी संख्या है। साथ ही उन्होंने पूछा था कि बीई/बीटेक में क्षेत्रीय भाषा में पाठ्यक्रम को शामिल करने में विश्वविद्यालयों के कितनी अतिरिक्त लागत आती है और क्या यह लागत सरकार द्वारा अलग से वहन की जाती है।

इन सवालों का जवाब केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लिखित में दिया। उनके मुताबिक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक साल 2021-22 और 2022-23 में क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से बीई और बीटेक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या क्रमश: 245 और 683 है।

जुलाई, 2021 में एआइसीटीई ने 11 क्षेत्रीय भाषाओं में बीटेक पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उस समय बताया था कि इंजीनियरिंग की जिन 11 भाषाओं में अब पढ़ाई की जाएगी उनमें हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमी, पंजाबी और उड़िया शामिल है।

सुभाष सरकार ने अपने जवाब में बताया कि इन 11 क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तकनीकी पुस्तक लेखन और उसके अनुवाद के लिए एक योजना शुरू की गई है। अनुवादित पुस्तकें ई-कुंभ पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा इंजीनियरिंग के स्रातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मुख्य जैसी प्रवेश परीक्षाएं भी तेरह क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं जिससे विद्यार्थियों को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई करने की सुविधा होती है।