Lata Mangeshkar Education: संगीत की दुनिया की सबसे सुरीली आवाज लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का 6 फरवरी 2022 को निधन हो गया। वह बीते एक महीने से बीमार चल रही थीं। उनके निधन पर पूरे देश में शोक का माहौल है और देश की प्रमुख हस्तियों ने इस मौके पर दुख जताया है।

92 साल की लता का जीवन काफी दिलचस्प रहा है। वह महज एक दिन के लिए ही स्कूल गईं, इसके बाद उन्होंने अपने घर पर नौकर की मदद से मराठी सीखी। दरअसल स्कूल के पहले दिन लता अपनी 10 महीने की छोटी बहन आशा को भी साथ लेकर गई थीं। इस बात पर उनकी टीचर ने जब आपत्ति जताई तो लता गुस्से में घर वापस आ गईं और फिर कभी स्कूल नहीं गईं।

नौकर विट्ठल ने कराया मराठी भाषा से परिचय: लता (Lata Mangeshkar) ने फिल्म निर्माता-लेखक नसरीन मुन्नी कबीर को बताया था कि मैं लगभग तीन या चार वर्ष की थी, जब मैंने अपने नौकर विट्ठल से कहा था कि मुझे मराठी वर्णमाला सिखा दो। इसके बाद मैंने घर पर ही मराठी का अध्ययन किया। नसरीन मुन्नी कबीर ने बाद में लता के साथ हुई इस बातचीत को Lata Mangeshkar In Her Own Voice नाम की किताब में संग्रहित किया है।

हालांकि लता ने शुरुआत में कुछ नर्सरी क्लासों में भाग लिया है। जब टीचर उनसे ब्लैकबोर्ड पर श्रीगणेश लिखने को कहते थे, तो वह बिल्कुल ठीक ढंग से इसे कॉपी कर दिया करती थीं। इसमें उन्हें 10 में से 10 नंबर मिले। दरअसल लता की चचेरी बहन वसंती महाराष्ट्र के सांगली में उनके घर के सामने एक मराठी-माध्यम के मुरलीधर स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ रही थीं। जब भी भी वसंती को संगीत की शिक्षा मिलती थी, तब लता टीचर के गायन को ध्यान से सुनती थीं।

टीचर ने पूछा कि क्या तुम भी गाती हो– एक बार उस टीचर ने लता की चचेरी बहन से उनके बारे में पूछा और लता ने अचानक उछलकर कहा कि मैं मास्टर दीनानाथ की बेटी हूं। इस पर टीचर ने कहा कि वह एक महान गायक हैं, क्या तुम भी गाती हो? इस पर लता ने जवाब दिया कि वह कई राग गा सकती हैं। इसके बाद लता ने कई लोगों के सामने एक क्लासिकल गाना गाया। नियोगी द्वारा पब्लिश की गई किताब में इस बात का जिक्र है। इसके बाद इसी स्कूल में लता भी गईं और अपने साथ 10 महीने की आशा को भी ले गईं। टीचरों ने उनसे कहा कि यहां बच्चे को साथ लेकर नहीं आया जा सकता है, इस पर लता नाराज हो गईं और फिर कभी स्कूल नहीं गईं।

कई भाषाओं का था ज्ञान- लता (Lata Mangeshkar) ने अपनी चचेरी बहन इंदिरा से हिंदी सीखी थी। बॉम्बे के एक शख्स लेखराज शर्मा ने भी उन्हें हिंदी सिखाई। इसके बाद उन्होंने उर्दू, बंगाली, पंजाबी और तमिल भी सीखी। लता संस्कृत भी जानती थीं। लता ने एक बार कबीर को बताया था कि मैं पहले गाने की लिरिक्स हिंदी (देवनागिरी) में लिखती थी। इसके बाद म्यूजिक डायरेक्टर मुझे गाना सुनाते थे और मैं उसे सुनकर शब्दों को पढ़ती थी।