15 अगस्त 2025 को भारत आजादी के 78 साल पूरे करेगा। देशवासी 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएंगे। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले से देशवासियों को संबोधित करते हैं और उससे पहले ध्वजारोहण किया जाता है। इस परंपरा का अपना एक इतिहास है। लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन और उससे पहले ध्वजारोहण होना यह भारत की परंपरा है। 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र घोषित हुआ तो उस वक्त देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से देशवासियों को संबोधित किया था और ध्वजारोहण किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को देश गणतंत्र दिवस मनाता है। स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। आपको सुनने में यह एक जैसा लगेगा, लेकिन इसमें अंतर है। जी हां, ध्वजारोहण और झंडा फहराना दोनों अलग प्रक्रिया होती है। कई लोग ध्वजारोहण और झंडा फहराने को एक ही मान लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों का अर्थ, परंपरा और इनका ऐतिहासिक महत्व भी अलग हैं। इस आर्टिकल में हम आपको यही बताएंगे।

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ध्वजारोहण के बारे में जानिए

ध्वजारोहण प्रधानमंत्री के द्वारा लाल किले की प्राचीर से किया जाता है। इसका इतिहास 15 अगस्त, 1947 से जुड़ा हुआ है। जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय ब्रिटिश झंडे को नीचे उतारकर भारत का राष्ट्रीय झंडा ऊपर चढ़ाया गया था। तभी से स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है और फिर ध्वजारोहण किया जाता है। यह प्रक्रिया स्वतंत्रता दिवस के दिन ही होती है।

26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है

26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडे को फहराया जाता है। इसमें हमारा राष्ट्रीय ध्वज पहले से ही खंभे पर बंधा होता है। इसमें फूलों की पंखुड़ियां भी होती हैं। इस कारण जब तिरंगे को फहराया जाता है तो ऊपर से पुष्प वर्षा होती है। झंडा फहराने की प्रक्रिया कोई भी आम आदमी कर सकता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के राष्ट्रपति के हाथों कर्तव्य पथ पर झंडा फहराया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस पर जब आप तिरंगा फहराएं या ध्वजारोहण करें तो कुछ नियम का जरूर ध्यान रखें।

तिरंगा साफ सुथरा हो। कहीं से वह फटा या कटा हुआ नहीं होना चाहिए।

अगर झंडा किसी मंच पर फहराया जा रहा है तो ध्यान रहे कि वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो और झंडा उसके दाहिनी ओर होना चाहिए।

झंडा हर किसी को दिखाई देना चाहिए।

अशोक चक्र झंडे की बिल्कुल बीच में और सफेद पट्टी पर होना चाहिए और उसमें 24 तीलियां होनी चाहिए।

तिरंगे को नीचे उतारने के भी हैं नियम

सबसे पहले राष्ट्रीय ध्वज को क्षैतिज रूप से रखें।

केसरिया और हरे रंग की पट्टियों को बीच की सफेद पट्टियों के नीचे मोड़ें।

सफेद पट्टी को इस प्रकार से मोड़ें कि केसरिया और हरे रंग की पट्टियों के साथ केवल अशोक चक्र दिखाई दे।

मोड़े हुए झंडे को हथेलियों या हाथों पर रखें और उसे सुरक्षित स्थान पर रख दें।