नौकरी के लिए हाहाकार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि अच्छा पढ़ने-लिखने से अच्छी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन आपको जानकारी हैरानी होगी कि दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी में गिनी जाने वाली हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड या व्हार्टन जैसे संस्थानों से MBA करने के बाद भी नौकरी की गारंटी नहीं मिल रही है। दरअसल, इन संस्थानों से एमबीए करने के बाद हाई सैलरी वाली नौकरी की मिलने वाली गारंटी में गिरावट आई है।

अमेरिका में बने ऐसे हालात

ऐसे हालात अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नए राष्ट्रपति बनने से पहले बन चुके हैं। अमेरिका की आईवी लीग यूनिवर्सिटीज से MBA करने पर ये माना जाता था कि स्टूडेंट्स को दुनिया में कहीं भी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन अब स्थिति अलग है। आईवी लीग यूनिवर्सिटीज से पासआउट छात्रों को भी नौकरी नहीं मिल रही है। आईवी लीग में शामिल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को अमेरिका ही नहीं दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटीज में से एक माना जाता है। हालांकि, 2024 में हार्वर्ड से MBA करने के बाद भी स्टूडेंट्स को नौकरी के लिए धक्के खाने पड़े हैं।

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क्यों बनी यह स्थिति?

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले बनी यह स्थिति वाकई चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका में आए नौकरी के इस संकट की वजह की बात करें तो अस्थिर नौकरी बाजार के साथ-साथ यहां की प्रतिष्ठित डिग्रियों की डिमांड का भी बढ़ना है। रिपोर्ट बताती है कि इन शीर्ष-स्तरीय कार्यक्रमों से हाल ही में स्नातक हुए कई लोग रोजगार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जो वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की एक कठोर तस्वीर पेश करती है।

3 साल में तेजी से बढ़ी है बेरोजगारी की दर

वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (HBS) के 23 प्रतिशत एमबीए ग्रेजुएट कैंडिडेट पढ़ाई पूरी करने के तीन महीने बाद भी नौकरी की तलाश में थे। पिछले साल यानी 2023 में यह दर 20 प्रतिशत और 2022 में 10 प्रतिशत थी। पिछले 3 साल में इस दर में तेजी से वृद्धि हुई है।

अब डिग्री नहीं स्किल की है डिमांड

हार्वर्ड की करियर विकास की प्रभारी क्रिस्टन फिट्ज़पैट्रिक ने बताया है कि हम जॉब्स मार्केट के कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हार्वर्ड जाना अब एक अलग पहचान नहीं रह गई बल्कि इसकी जगह आपके अंदर स्किल का टैलेंट होना चाहिए। यह प्रवृत्ति हार्वर्ड तक ही सीमित नहीं है, अन्य प्रतिष्ठित संस्थान जैसे स्टैनफोर्ड, व्हार्टन और एनवाईयू स्टर्न भी अब कैंपस प्लेसमेंट के आंकड़ों में गिरावट आई है।

जॉब मार्केट में मंदी के पीछे क्या है वजह?

जॉब मार्केट में आई मंदी के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं। महामारी के बाद, कंपनियों ने कार्य कराने के तरीके में बदलाव किया है। अब कंपनियां किसी काम को कम समय में, कम प्रयास में, और कम खर्च में पूरा कराने पर ध्यान दे रही हैं। इसने सामान्य एमबीए स्नातकों की तुलना में विशेष तकनीकी कौशल वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है।

इसके अतिरिक्त, पारंपरिक रूप से एमबीए के वर्चस्व वाले क्षेत्रों, जैसे कि तकनीक और परामर्श ने भर्ती में काफी कमी की है। Amazon, Microsoft और Google जैसी कंपनियों ने भर्ती को कम कर दिया है, जबकि McKinsey जैसी परामर्श दिग्गजों ने अपने MBA कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है।