Furniture Designer Jobs: फर्नीचर उद्योग में वृद्धि अन्य उद्योगों से ज्यादा है और यह 15 फीसद से भी अधिक है। फर्नीचर उद्योग अपने उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा निर्यात करता है। यही वजह है कि बढ़ई कौशल या फर्नीचर डिजाइनर की मांग अच्छी है। इतना ही नहीं भारत में तेज गति से होता विकास और बड़ी संख्या में बनते घर और दफ्तर भी फर्नीचर डिजाइनरों के लिए बेहतर मौका लेकर आए हैं। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की बहुत कमी रही है लेकिन अब कुछ नए पाठ्यक्रमों के आने से धीरे-धीरे प्रशिक्षितों की संख्या बढ़ी है। फर्नीचर डिजाइन के पाठ्यक्रम को करने के बाद व्यक्ति प्रबंधन स्तर तक की नौकरी भी पा सकता है। इतना ही नहीं इस पाठ्यक्रम के बाद अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है।

योग्यता- किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से किसी भी विषय से बारहवीं पास करने वाले विद्यार्थियों को इंटीरियर या फर्नीचर डिजाइन के बीडेस या बीवोक पाठ्यक्रम में दाखिला मिल सकता है। इतना ही नहीं बीवोक में कक्षा दस के बाद डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों को भी दाखिला दिया जाता है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम यानी एमवोक या एमडेस करने के लिए विद्यार्थी के पास संबंधित विषय में स्नातक डिग्री का होना जरूरी है।

पाठ्यक्रम– बीडेस (इंटीरियर डिजाइन)
बीडेस (इंटीरियर डिजाइन एंड फर्नीचर डिजाइन)
बीवोक (बढ़ई कौशल)
बीवोक (फर्नीचर डिजाइन)
बीवोक (इंटीरियर डिजाइन)
एमडेस (इंटीरियर डिजाइन)
एमवोक (बढ़ई कौशल)
एमवोक (इंटीरियर डिजाइन)
एमवोक (फर्नीचर डिजाइन)
बीएससी (इंटीरियर डिजाइन)
सर्टिफिकेट (वुडन फर्नीचर डिजाइन)

फर्नीचर डिजाइनर : छोटी जगह में बनते घरों और दफ्तरों की वजह से फर्नीचर डिजाइनरों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। लोगों की ओर से लगातार ऐसे फर्नीचर की मांग बढ़ रही है जिससे एक साथ कई कार्यों को पूरा किया जा सकता हो। जैसे जरूरत पड़ने पर किसी सोफे का बेड बनाया जा सके और फिर से सोफा बना दिया जाए। ऐसे अलग तरह के फर्नीचर बनाने का कार्य फर्नीचर डिजाइनरों का होता है।
उत्पाद अन्वेषक : फर्नीचर के लिए नई सामग्री को कैसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है? कैसे फर्नीचर को अधिक दिनों तक चलने वाला बनाया जा सकता है और कैसे उन्हें अत्याधिक किया जा सकता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सिर्फ उत्पाद अन्वेषक के पास हो सकता है। फर्नीचर बाजार में इनकी बहुत आवश्यकता है।
फर्नीचर संरक्षक : प्राचीन समय के फर्नीचर को संरक्षित करने के लिए फर्नीचर संरक्षकों की जरूरत होती है। ये अपने ज्ञान, नई तकनीक और कौशल के माध्यम से पुराने फर्नीचर को न सिर्फ संरक्षित करते हैं बल्कि उसे उपयोग करने लायक भी बनाते हैं। संग्रहालयों, विश्वविद्यालयों आदि में इस पद पर नियुक्ति मिलती है। यहां वे पुराने फर्नीचर को संरक्षित करते हैं।

वेतन– फर्नीचर डिजाइनर को शुरुआती तौर पर 15 से 20 हजार रुपए महीने मिल सकते हैं। अनुभव बढ़ने के साथ ही फर्नीचर डिजाइनर का वेतन भी बढ़ता जाता है और यह 40 हजार से लेकर एक लाख रुपए महीने तक भी हो सकता है। फर्नीचर बनाने वाली निजी कंपनियां अच्छा वेतन देती हैं। अपना व्यवसाय कर लाखों कमा सकते हैं।

संस्थान- 

वाईएमसीए, दिल्ली<br />मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर<br />एनआइआइटी स्कूल आॅफ फैशन डिजाइन एंड इंटीरियर डिजाइन, बंगलुरु
एपीजे डिजाइन संस्थान, दिल्ली
राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अमदाबाद
एमआइटी डिजान संस्थान, पुणे</p>

बढ़ई कौशल में पीएचडी- हमारे देश में बढ़ई के पेशे को वो आयाम नहीं मिला है, जिसका वो हकदार है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय कौशल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी ने बढ़ई कौशल में पीएचडी कराने की शुरुआत की है। बीएसडीयू के कुलपति डॉक्टर सुरजीत सिंह पाबला के मुताबिक शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते दायरे, लोगों की बढ़ती जीवन शैली और बढ़ई कौशल में कुछ नया हासिल करने कि कोशिश देश को नई उचाइयों तक ले लाएंगे। उन्होंने बताया कि उनके यहां से उम्मीदवार बीवोक, एमवोक के बाद पीएचडी पाठ्यक्रम भी कर सकता है। इस पाठ्यक्रम की वजह से बढ़ई कौशल से लेकर फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिलेंगे।