अपनी विविध जलवायु और कृषि अनुकूल परिस्थितियों के साथ, हमारे देश के पास बागवानी फसलों और प्रथाओं की एक समृद्ध विरासत है जो समय के साथ विकसित हुई है। बागवानी में फलों, सब्जियों, फूलों, मसालों और औषधीय पौधों की खेती शामिल है। भारत में हाल के वर्षों में बागवानी क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और यह देश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है।

भारत में वर्तमान बागवानी परिदृश्य

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार बागवानी क्षेत्र देश के कृषि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 33 फीसद से अधिक का योगदान देता है और लाखों किसानों व खेतिहर मजदूरों को रोजगार प्रदान करता है। भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो सालाना 3,070 लाख मीट्रिक टन से अधिक फलों और 1,870 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन करता है। देश विश्व स्तर पर फूलों और मसालों के शीर्ष 10 उत्पादकों में भी शामिल है।

भारत में बागवानी क्षेत्र में विकास के महत्त्वपूर्ण कारक में से एक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फलों और सब्जियों की बढ़ती मांग रही है। तेजी से शहरीकरण, बदलती जीवन शैली और उपभोक्ताओं के बीच स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण आहार संबंधी प्राथमिकताओं में अधिक फल और सब्जियों से भरपूर आहार की ओर बदलाव आया है।

इसके परिणामस्वरूप बागवानी फसलों की मांग बढ़ी है जिससे किसानों को आय सृजन के नए अवसर मिले हैं। मांग के अलावा, विभिन्न सरकारी पहलों और नीतियों ने भी भारत में बागवानी को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2005 में शुरू किया गया राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) बागवानी फसलों के उत्पादन, उपज के प्रबंधन और विपणन पर ध्यान केंद्रित करके बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक प्रमुख कार्यक्रम रहा है।

मिशन ने बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी प्रसार और बाजार से जुड़ाव में मदद की है, जिसने देश में बागवानी के विकास में योगदान दिया है। यह केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य बागवानी को बढ़ावा देना और बागवानी गतिविधियों में लगे किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसे भारत सरकार द्वारा 2005-06 में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के एक भाग के रूप में एक समग्र और टिकाऊ तरीके से बागवानी के एकीकृत विकास के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड फलों, सब्जियों, फूलों, मसालों, सुगंधित पौधों और औषधीय पौधों सहित बागवानी फसलों के उत्पादन, कटाई के बाद के प्रबंधन और विपणन पर ध्यान केंद्रित करता है। मिशन का उद्देश्य किसानों, उत्पादकों और अन्य हितधारकों को तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और वित्तीय सहायता प्रदान करके बागवानी उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।

भारत में बागवानी का भविष्य

भारत में बागवानी का भविष्य आशाजनक दिख रहा है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना था और बागवानी इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सरकार ने बागवानी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतियों की घोषणा की है औरबागवानी निर्यात को 60 अरब अमेरिकी डालर तक बढ़ाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

सरकार बागवानी में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने बागवानी के बुनियादी ढांचे में सुधार और किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और बागवानी के एकीकृत विकास मिशन जैसी विभिन्न योजनाएं भी शुरू की हैं।

बागवानी में करिअर

आपकी दिलचस्पी अगर विज्ञान, कला और कृषि तीनों में है तो बागवानी आपके लिए अच्छा करिअर साबित हो सकता है। बागवानी के अंतर्गत विज्ञान की कई शाखाओं (भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान) का अध्ययन किया जाता है। साथ ही सामाजिक विज्ञान, मार्केटिंग और स्वास्थ्य देखभाल जैसे विषय भी पढ़ाए जाते हैं। बागवानी क्षेत्र में बतौर विशेषज्ञ, सुपरवाइजर, बागवानी विशेषज्ञ, फल-सब्जी निरीक्षक के तौर पर काम कर सकते हैं।

सरकारी विभागों में कृषि वैज्ञानिक बना जा सकता है। प्रोफेसर, रीडर कृषि केंद्रों में व्यवस्थापक के रूप में भी आप अपना करिअर शुरू कर सकते है। इसके अलावा राज्य लोकसेवा आयोग के जरिए उद्यान अधिकारी, कृषि अधिकारी, तकनीकी अधिकारी, फल व सब्जी निरीक्षक उद्यान पर्यवेक्षक कृषि विकास अधिकारी के पदों पर अवसरों की संभावनाएं रहती है।

पाठ्यक्रम

स्नातक पाठ्यक्रम : विज्ञान विषयों के साथ बारहवीं पास करने के बाद बागवानी विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की ओर से आयोजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला मिलता है। इस प्रवेश परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी करती है। बागवानी के स्नातक पाठ्यक्रम की अवधी तीन से चार साल की होती है।

स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम : जीवविज्ञान या बागवानी में स्नातक उपाधि हासिल करने के बाद विद्यार्थी बागवानी के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। दाखिले के लिए उम्मीदवार को आइसीएआर की प्रवेश परीक्षा में बैठना होता है। कुछ संस्थान और विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा का भी आयोजन करते हैं।
वाईपी सिंह (बागवानी विशेषज्ञ)