Education: जवाहर लाला नेहरू विश्वविद्यालय यानी की जेएनयू देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविवद्यालों में से एक है। जेएनयू सरकार और बाहरी रेटिंग से भी सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। उसके बाद भी यह मौजूदा समय में 130 करोड़ रूपए के घाटे में चल रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपे जेनएयू वीसी शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित के इंटरव्यू के अनुसारस वीसी ने कहा कि सबसे कम बजट जेएनयू को दिया गया है। आज हम 130 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहे हैं। श्रीमती निर्मला सीतारमण, जो जेएनयू की पूर्व छात्रा और मेरी सीनियर हैं, और मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की बदौलत विश्वविद्यालय को 56 करोड़ रुपये मिले। उन्होंने कहा कि सरकार अन्य विश्वविद्यालयों को पर्याप्त बजट दे रहा है, तो हमें भी दें। हमें भी अपने संविदा कर्मचारियों को भुगतान करना होगा।
शिक्षा पर बजट बढ़ाने की आवश्यकता
एक सवाल के जवाब में जेएनयू वीसी ने कहा कि हम अभी भी अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3 या 3.2 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते हैं, जो बहुत कम है। हमें इसे 6 फीसदी तक ले जानें की आवश्यकता है। दक्षिण कोरिया या दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तरह, सकल घरेलू उत्पाद का 15 प्रतिशत शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश किया जाना चाहिए। जब तक आप ऐसा नहीं करते, हम कोई वास्तविक प्रगति नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी छवि बदलनी होगी।
देश विरोधी नहीं है जेएनयू
वीसी ने कहा कि कुछ लोगों के कारण विश्वविद्यालय को देश विरोधी नहीं कहा जा सकता है। वर्तमान कैबिनेट में तीन मंत्री हैं जो जेएनयू के पूर्व छात्र हैं। सत्तर फीसदी नौकरशाही विश्वविद्यालय से है और यहां तक कि 50 फीसदी अकादमिक क्षेत्र में भी विवि के छात्र हैं। उन्होंने कहा कि जब हम राष्ट्र के लिए योगदान दे रहे हैं, तो हम देशद्रोही कैसे हैं।
छात्रों के लिए हमेशा खुला रहता है मेरा कार्ययालय
उन्होंने कहा कि मेरा कार्यालय दिन के किसी भी समय किसी भी संकाय या छात्र के लिए खुला रहता है। मैं हॉस्टल जाती हूं और छात्रों के साथ खाना भी खाती हूं। मैं संकाय और छात्रों दोनों को भी श्रेय देता हूं।