देश की सर्वोच्च अदालत ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) पीजी परीक्षा के रिजल्ट के खिलाफ दायर हुई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। दरअसल, यह याचिका इस परीक्षा के परिणाम पर रोक लगाने के लिए दाखिल हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बेंच ने इस याचिका को अस्वीकार कर दिया।
क्या कहा बेंच ने?
पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में प्रथम दृष्टया कोर्ट के रूप में काम नहीं कर सकती। साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के कारण परीक्षा परिणाम जारी होने में देरी के बारे में चिंता व्यक्त की। इस दौरान CJI ने कहा, “हम प्रथम दृष्टया न्यायालय नहीं हो सकते… हमने कई मौकों पर यह कहा है कि हमारे पास ऐसे फैसले हैं, जिनमें OMR शीट के मुद्दों के कारण परिणामों में आठ साल तक की देरी हुई है, कृपया आप हाईकोर्ट जाएं।”
परीक्षा पर क्यों उठे सवाल?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका अमन खान और आषुय अग्रवाल नाम के दो अधिवक्ताओं द्वारा दायर की गई। उन्होंने ही 1 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई CLAT PG परीक्षा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि इस एग्जाम का रिजल्ट 10 दिसंबर को जारी होना था, लेकिन समय से पहले ही रिजल्ट जारी कर दिया गया। CLAT परीक्षा का परिणाम 8 दिसंबर को ही जारी कर दिया गया। इसके अलावा दिसंबर को जो इस परीक्षा की प्रोविजनल आंसर की जारी हुई थी उसमें 12 प्रश्नों के गलत उत्तर समत कई खामियां थीं। इसके अलावा आंसर की पर आपत्ति दर्ज कराने की समयसीमा सिर्फ 1 दिन की ही दी गई थी।
शुल्क पर भी थी आपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
याचिका में इसके अलावा आंसर की पर आपत्ति दर्ज कराने के शुल्क का भी जिक्र था। आपत्ति प्रक्रिया में प्रति आपत्ति 1000 रुपए का भुगतान करना था। वहीं 4000 रुपए एग्जाम फीस थी। हालांकि, सीजेआई ने शुल्क के संबंध में आपत्ति को खारिज करते हुए कहा, “प्रति आपत्ति 1,000 रुपये कोई बड़ी बात नहीं है। क्या आप जानते हैं कि कितना खर्च होता है?” याचिका में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर विधि कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया को निलंबित करने की भी मांग की गई।