केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए शैक्षणिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने का सुझाव दिया है। इस प्रस्ताव में कक्षा 10 में दो भाषाएं पढ़ने की जगह अब तीन भाषाएं पढ़नी होगी। शर्त यह भी है कि कम से कम इसमें दो मूल भारतीय भाषाएं होनी चाहिए। इसके अलावा कक्षा 10 में छात्रों को अब पांच के बजाए 10 विषयों में सफल होना होगा। इसी तरह कक्षा 12 के लिए प्रस्तावित बदलाव में छात्रों को एक के बजाय दो भाषाओं को पढ़ने की बात शामिल है। इसमें शर्त यह है कि कम से कम एक मूल भारतीय भाषा होनी चाहिए। कुल मिलाकर, उन्हें हाई स्कूल से स्नातक करने के लिए पांच के बजाय छह विषयों में परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार योजना में प्रस्तावित बदलाव स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचे को लागू करने के लिए सीबीएसई की व्यापक पहल का हिस्सा हैं। क्रेडिट सिस्टम का उद्देश्य व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच अकादमिक समानता लाना है। इससे दोनों शिक्षा प्रणालियों के बीच गतिशीलता की सुविधा मिल सकेगी। जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित किया गया था।
मौजूदा सिस्टम में मानक स्कूल पाठ्यक्रम में औपचारिक क्रेडिट प्रणाली नहीं है। सीबीएसई योजना के अनुसार, एक एकेडमिक वर्ष में 1200 अनुमानित लर्निंग घंटे होंगे। इससे 40 क्रेडिट मिल सकेगा। काल्पनिक शिक्षण का मतलब उस तय समय से है जो एक औसत छात्र को जरूरी नतीजा पाने के लिए लगाने की जरूरत होगी। दूसरे शब्दों में प्रत्येक विषय को एक निश्चित संख्या में घंटे आवंटित किए गए हैं ताकि एक वर्ष में एक छात्र सफल घोषित होने के लिए कुल 1200 सीखने के घंटे खर्च करे। इन घंटों में स्कूल में शैक्षणिक शिक्षा और स्कूल के बाहर गैर-शैक्षणिक या अनुभवात्मक शिक्षा दोनों शामिल होंगे।