केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का कहना है कि स्कूलों सहित विभिन्न पक्षकारों के साथ बातचीत बिना कक्षा 10 और 12 की परीक्षाएं समय से पहले कराने का कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षाएं लगभग एक महीने पहले करवाने के विचार का अध्ययन करने की योजना बनाई थी। जिस पर विभिन्न स्कूलों ने चिंता जताई थी। उन्हीं चिंताओं के मद्देनजर यह बात कही गई है। स्कूलों का कहना है कि चूंकि वर्तमान सत्र शुरू हो चुका है, ऐसे में इस सत्र में किसी भी तरह का कोई भी बदलाव विद्यार्थियों की तैयारियों पर विपरीत असर डाल सकता है।
स्कूलों की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर सीबीएसई परीक्षाएं फरवरी में करवाता है तो उन्हें पाठ्यक्रम को पहले ही जल्दबाजी में खत्म करना होगा ताकि प्रयोगात्मक परीक्षाएं करवाई जा सकें। इससे विद्यार्थियों की तैयारी बुरी तरह से प्रभावित होगी। इसके अलावा बोर्ड कक्षाओं के इतर अन्य कक्षाओं की परीक्षाओं को और पहले खिसकाना होगा। कुल मिलाकर जब एक सत्र शुरू हो चुका है तो इसमें बदलाव करने से अव्यवस्था होगी। स्कूलों का कहना है कि यदि परीक्षाओं को आगे आयोजित कराना जरूरी हो तो इसे अगले सत्र से लागू किया जाए न कि इसी सत्र से।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका उद्देश्य यह है कि मूल्यांकन और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अधिक समय मिल सके। हालांकि सभी पक्षकारों से बातचीत के बगैर परीक्षाएं समयपूर्व करवाने पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। सीबीएसई दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं को समयपूर्व फरवरी में करवाने पर विचार कर रहा है, वर्तमान में परीक्षाएं मार्च में होती हैं। यह विचार खराब आकलन की शिकायतों के बाद आया था।

