देशभर के 103 परीक्षा केन्द्रों पर आज (7 मई, रविवार) मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा हो रही है। इसमें 11 लाख 35 हजार 104 स्टूडेंट शरीक हो रहे हैं। यह पिछले साल इसी परीक्षा में शामिल हुए छात्र-छात्राओं की संख्या से 41.42 फीसदी ज्यादा है। सीबीएसई ने यह आंकड़ा जारी किया है। बिहार में तीन परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, पटना, गया और मुजफ्फरपुर। सीबीएसई ने कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए इस बार कड़े नियम बनाए हैं। सीबीएसई के नियमों के मुताबिक इस बार परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र पर प्रवेश पत्र, सीबीएसई की ओर से जारी किए गए प्रारूप पर पोस्टकार्ड साइज की फोटो लगाकर और एक पासपोर्ट साइज की फोटो लेकर जाना अनिवार्य किया गयाहै। इसके अलावा परीक्षार्थियों को कोई भी सामान नहीं लाने की हिदायत दी गई थी।

लखनऊ के पत्रकार अम्बरीश कुमार की फेसबुक पोस्ट के मुताबिक एक अखबार में छपी खबर के कारण परीक्षार्थी आधार कार्ड लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचे थे। अखबार ने आधार कार्ड ले जाना जरूरी बताया था। लिहाजा, सभी परीक्षार्थी आधार कार्ड लेकर पहुंचे थे लेकिन परीक्षा केंद्र पर इसकी मनाही कर दी गई। आखिरकार परीक्षार्थियों को कहा गया कि वे अपने-अपने परिजनों को बुलाकर आदार कार्ड वापस भेज दें लेकिन बिना मोबाइल के पहुंचे परीक्षार्थी उन्हें कैसे बुलाते? बहरहाल किसी तरह मामले को सुलझाया गया।

सीबीएसई ने पहली बार इस तरह की परीक्षा के लिए ड्रेस कोड लागू किया है। नियम के मुताबिक कोई भी परीक्षार्थी जूता नहीं पहनेगा। केवल चप्पल ही पहनने की इजाजत दी गई थी। गर्ल्स स्टूडेंट्स साड़ी के बजाए साधारण सूट या जीन्स टी-शर्ट वह भी बगैर किसी तस्वीर या प्रिंट वाली पहन सकती हैं। हिदायत दी गई थी कि टी-शर्ट पर बड़ी और काली रंग की बटन न लगी हो। पीने के पानी का बोतल भी परीक्षा हॉल में नहीं ले जाने को कहा गया था। पेन पेंसिल भी इम्तहान सेंटर पर मुहैया कराया जाएगा। हाथों की अंगुली में अंगूठी तक नहीं। शर्ट भी हाफ। फूल बांह की शर्ट पहनने की मनाही है। केवल एडमिट कार्ड ही ले जाना है। मोबाइल का तो कोई मतलब नहीं। नीट के एग्‍जाम सेंटर पर बुर्का, ताबीज, ब्रेसलेट और कृपाण भी अपने पास रखने पर रोक है। इसके अलावा पर्स, एटीएम कार्ड, लॉकेट, जूते, फुल स्लीव्स की शर्ट, घड़ी, धूप वाले चश्में, हेयर क्लिप, रबर बैंड, चूड़ी आदि पर भी रोक लगाई गई है।

दरअसल, मेडिकल प्रवेश परीक्षा में नकल करने की हरेक साल शिकायतें बढ़ती ही जा रही थीं। देश में पर्चा आउट कराने, दूसरे के बदले परीक्षा देने का धंधा पनपा है। इस काम में कई गिरोह सक्रिय हैं। मेडिकल में प्रवेश दिलाने के लिए बिहार में रंजीत डॉन एक फेमस नाम था। जब से इसका भांडा फूटा तब से मेधावी छात्रों का रास्ता भी खुला है और फर्जीवाड़ा कम हुआ है। फिर भी जहाँ तहां से हरेक साल इस दौर में फर्जीवाड़े की खबरें मिल ही जाती हैं लेकिन एक हद तक रोक लगी है। नीट ने इस पर ज्यादा काबू पाया है। यह मेधावी स्टूडेंटों के लिए सुखदाई खबर है।

इस साल इंग्‍लिश के साथ-साथ नीट एग्‍जाम कुल 10 भारतीय भाषाओं में हो रहा है। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, असमी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, कन्‍न्‍ड़, ओड़िया, तमिल और तेलुगू शामिल है। इस परीक्षा में पास हुए विद्यार्थियों का उन मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में दाखिला होता है। जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया द्वारा संचालित होते हैं।