Arati Saha (आरती साहा) Google Doodle: Google ने आज तैराक आरती साहा उनकी 80 वीं जयंती पर उनके नाम का डूडल बनाया है। साहा, जिनके नाम पर कई फर्स्ट हैं, 1960 में पद्म श्री से सम्मानित होने वाली पहली महिला थीं। साहा का जन्म 24 सितंबर, 1940 को कलकत्ता (तब ब्रिटिश भारत) में हुआ था। उन्होंने हुगली नदी के किनारे तैरना सीखा। बाद में उन्होंने भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धी तैराकों में से एक सचिन नाग की निगरानी में प्रशिक्षण लिया। पांच साल की उम्र में साहा ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था। 11 तक, उसने कई तैराकी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
12 साल की उम्र में साहा फिनलैंड की हेलसिंकी में 1952 के समर ओलंपिक में भाग लेने वाली भारत की पहली टीम में शामिल हुईं। वह टीम बनाने वाली केवल चार महिलाओं में से एक थीं। 18 साल की उम्र में, उन्होंने इंग्लिश चैनल को पार करने का प्रयास किया। एक असफल प्रयास के बाद, वह यात्रा पूरी करने में सफल रही, ऐसा करने वाली पहली एशियाई महिला बन गई। आज डूडल ने अंग्रेजी चैनल में उनकी यात्रा के संदर्भ में, कम्पास और समुद्र के दृश्य के साथ साहा की तैराकी का चित्रण किया है। इसे कोलकाता के आर्टिस्ट लावण्या नायडू ने दिया था।
उन्होंने 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत की डॉली नजीर के साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह चार महिला प्रतिभागियों में से एक थीं और भारतीय दल की सबसे कम उम्र की सदस्य थीं। ओलंपिक में उन्होंने 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक इवेंट में भाग लिया।
1948 में, उन्होंने मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया। उन्होंने 100 मीटर फ्रीस्टाइल और 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में रजत पदक जीता और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता। उन्होंने 1950 में ऑल इंडिया रिकॉर्ड बनाया।
आरती साहा ने अपना पहला तैराकी गोल्ड मेडल पांच साल की उम्र में जीता था. 11 साल की उम्र तक साहा ने तैराकी के कई रिकॉर्ड्स तोड़ डाले।
आरती साहा ने अपना पहला तैराकी गोल्ड मेडल पांच साल की उम्र में जीता था. 11 साल की उम्र तक साहा ने तैराकी के कई रिकॉर्ड्स तोड़ डाले।
इस चित्र को कोलकाता के कलाकार लावण्या नायडू ने बनाया है. नायडू का कहना है कि आरती साहा कोलकाता के घरों में एक प्रसिद्ध नाम हैं. उन्होंने कहा, मुझे आशा है कि यह हमारे देश के इतिहास में जब भी किसी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए महिलाओं को याद किया जाएगा, तो उसमें आरती साहा का नाम भी शामिल होगा।
गूगल ने अपने डूडल में आरती साहा को इंग्लिश चैनल को पार करते हुए दर्शाया है. साथ ही, इसमें उनके चित्र को कंपास के साथ चित्रित किया गया।
साहा 1960 में पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं. 19 साल की कम उम्र में उन्होंने इंग्लिश चैनल को पार करके दुनिया को हैरानी में डाल दिया. आरती ने 42 मील की यह दूरी 14 घंटे 20 मिनट में पूरी कल ली. उनकी प्रतिभा के लिए उन्हें 1960 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
उन्होंने 6 साल के स्टेट करियर में 1945 से 1951 के बीच 22 इनाम जीते। साहा 1960 में पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं।
भारतीय डाक ने उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए साल 1998 में एक डाक टिकट भी जारी किया।
साहा ने इंग्लिश चैनल को पार करने का पहला प्रयास में असफल होने के ठीक एक महीने बाद, उसने यात्रा को पूरा करने के लिए कई मील की लहरों और धाराओं पर विजय प्राप्त की, जो पूरे भारत की महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी।
18 साल की उम्र में, साहा ने इंग्लिश चैनल को पार करने का पहला प्रयास किया, हालांकि यह असफल रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
साहा ने अपना पहला तैराकी स्वर्ण पदक तब जीता जब वह केवल पांच वर्ष की थी। 19 साल की कम उम्र में उन्होंने इंग्लिश चैनल को पार करके दुनिया को हैरान कर दिया था।
एक इंटरव्यू में लावण्या नायडू ने कहा कि साहा कोलकाता में "एक प्रसिद्ध घरेलू नाम है"। उन्होंने कहा, मुझे आशा है कि यह हमारे देश के इतिहास में जब भी किसी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए महिलाओं को याद किया जाएगा, तो उसमें आरती साहा का नाम भी शामिल होगा।