28 साल के मोहम्मद हारून अपने नौ साल के बीमार बच्चे को कंधों पर लादकर 30 किलोमीटर तक पैदल चले, लेकिन वे किसी नजदीकी अस्पताल पहुंचते उससे पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। घटना जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में शुक्रवार रात की है। पीएम मोदी द्वारा 500 और 1000 के पुराने नोट बंद किए जाने के फैसले की वजह से कश्मीर में मौत की यह पहली घटना है। मृतक मुनीर दूसरी कक्षा में पढ़ता था। घटना की सच्चाई पता करने के लिए नायब तहसीलदार कुलदीप राज और गोरां पुलिस पोस्ट के इंचार्ज नानक चंद मोहम्मद हारून के घर सोमवार को पहुंचे और उनका बयान दर्ज किया। सांबा जिले की डीएम शीतल नंदा ने इस मामले में अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी। जब नंदा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि हारून अपने पुराने नोट बदलने बैंक गया था। लेकिन बच्चे की मौत की वजह वह नहीं है। हालांकि, इस मामले में उन्होंने अपने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।

मामले के जानकारी देते हुए हारून ने बताया कि मुनीर 14 नवंबर को बीमार पड़ा था। पहले दिन उसका घर में ही ब्लैक टी और अन्य जड़ी-बूटियों के साथ ईलाज किया गया था। लेकिन उसके स्वास्थ्य कोई सुधार नहीं हुआ। उसके बाद उसे मानसर में डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला हुआ। उस वक्त उसके पास छोटे नोटों में 100 से 150 रुपए थे। इसके अलावा 29 हजार रुपए की कीमत के 500 और एक हजार के पुराने नोटे थे। इसके बाद वे पुराने नोटों को बदलने के आठ किलोमीटर पैदल चलकर खून स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक की ब्रांच पहुंचे थे। लेकिन उसकी बारी उस दिन नहीं आई, क्योंकि वहां काफी लंबी कतार थी। इसके बाद हारून दूसरे दिन सुबह खून से 8-10 किलोमीटर दूर रामकोट गए। लेकिन वहां भी लोगों की भीड़ ज्यादा थी, ऐसे में उनकी बारी नहीं आ पाई। हारून ने बताया कि उसके 100-150 रुपए तीन दिनों में बैंक की ब्रांचों के चक्कर काटने में ही खर्च हो गए।

18 नवंबर को जब मुनीर की ज्यादा ही हालात खराब हो गई तो हारून और उनकी पत्नी ने बिना देरी किए उसे अस्पताल ले जाने का फैसला किया। हारून अपनी पत्नी के साथ बेटे को कंधे पर लादकर अपने घर से तीन बजे चला था। इसके बाद वे नौ किलोमीटर चलने के बाद आठ बजे के करीब सड़क तक पहुंचे। हारून ने बताया, ‘सडक पर हमने एक वैन ड्राइवर से प्रार्थना की कि वे हमें मानसर पहुंचा दें, उसने हम से 1000 रुपए किराया मांगा, जिसके लिए हम राजी हो गए। लेकिन दिक्कत तब हुई, जब उसने पूछा कि क्या हमारे पास पुराने नोट हैं या नए। जब मैंने उसे 500 और 1000 के पुराने नोट दिखाए तो उसने हमें ले जाने के लिए मना कर दिया। जब उसने हमें ले जाने के लिए मना कर दिया तो हमने फैसले किया कि हम लोग पैदल ही बच्चे को छोटे रास्ते से ले जाएंगे।’

सुबह पांच बजे हारून ने एक डॉक्टर के घर पहुंचे। लेकिन डॉक्टर ने जब चेक किया, तब तक मुनीर की मौत हो चुकी थी। हारून ने फोन पर बताया, ‘मोदी ने हमें बर्बाद कर दिया। अगर हमारे पास नए नोट होते तो हम हमारे बच्चे को समय पर डॉक्टर के पास ले जा पाते और उसकी जिंदगी बचा लेते’