सुनील दत्त पांडेय

जानेमाने छायाकार संन्यासी स्वामी सुंदरानंद 72 साल में हिमालय में आए बदलावों के साक्षी हैं। उन्होंने फोटोग्राफी के जरिए हिमालय का मानो साक्षात्कार किया है। एक छायाकार के साथ स्वामी सुंदरानद की तपोस्थली भी रही है हिमालय की चोटियां, घाटियां और कंदराए। हिमालय के सांपनुमा पर्वतों में ट्रैकिंग और पवर्तारोहण के शौकीन स्वामी सुंदरानंद ने अपने कैमरे में हिमालय के 60-70 हजार से ज्यादा फोटो कैद की हैं। उन्होंने गोमुख और गंगोत्री के ही 50 हजार से ज्यादा फोटो खींचे हैं, जो गोमुख-गंगोत्री के ग्लेशियरों में 70 साल के दौरान आए बदलावों के चश्मदीद गवाह हैं। स्वामी सुंदरानंद को उत्तराखंड के लोग फोटोग्राफर बाबा के नाम से भी पुकारते हैं। दक्षिण भारत से आया यह यायावर हिमालय का ही होकर रह गया।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के अनन्तपुरम गांव में 1926 में जन्मे स्वामी सुंदरानंद को बाल्यकाल से ही उत्तराखंड के पहाड़ खींचते रहे हैं। पांच बहनों के अकेले भाई स्वामी सुंदरानंद 1947 में घरवार छोड़कर पुरी भुवनेश्वर होते हुए बनारस और वहां से 1948 में गंगोत्री धाम पहुंचे थे। गंगोत्री में उनकी मुलाकात तपोवन बाबा से हुई। तपोवन बाबा के सानिध्य में रहकर उन्होंने हिमालय के आध्यात्मिक महत्त्व को जाना और उनसे दीक्षा ली।

दरअसल, स्वामी सुंदरानंद युवावस्था में 1955 में कालिंदीखाल ट्रैक पर ट्रैकिंग करने गए थे। ट्रैकिंग करते समय स्वामी सुंदरानंद और उनके साथियों का एकाएक आए भयंकर बर्फीले तूफान से सामना हुआ। वे अपने साथियों के साथ बच तो निकले, परंतु इस घटना ने उन्हें हिमालय के विभिन्न रूपों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए प्रेरित किया। इस घटना के बाद उन्होंने मात्र 25 रुपए में एक कैमरा खरीदा और वहीं से उन्होंने हिमालय को अपने कैमरे में कैद करने की तपस्या का श्रीगणेश किया। साल 2002 में स्वामी सुंदरानंद ने हिमालय के अपने अनुभवों पर एक पुस्तक ‘हिमालय-थ्रू द लेंस आॅफ ए साधु’ लिखी। इस पुस्तक का विमोचन तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

उनकी इस पुस्तक से पूरे विश्व में स्वामी सुंदरानंद के हिमालय को लेकर की गई अत्यंत आकर्षित फोटोग्राफी के कामकाज को जाना। स्वामी सुंदरानंद के हिमालय को अपने कैमरे में कैद करने को अब कलादीर्घा (आर्ट गैलरी) के रूप में तब्दील किया गया है। बीते शुक्रवार को स्वामी सुंदरानंद के सभी चित्रों को संग्रह कर गंगोत्री धाम में तपोवन हिरण्यगर्भ आर्ट गैलरी एवं हिमालय ध्यान योग केंद्र का लोकार्पण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसर कार्यवाह सुरेश सोनी और उत्तराखंड उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर स्वामी सुंदरानंद आॅटोग्राफी पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
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मी सुंदरानंद ने यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल के केदारनाथ के पुनर्निर्माण के कार्य से प्रभावित होकर अपनी आर्ट गैलरी का कार्य संपन्न करने का जिम्मा उनको दिया। समय का अभाव था, परंतु कर्नल कोठियाल की टीम ने दिन-रात मेहनत कर निश्चित समय पर आर्ट गैलरी का आयोजन करवाया। स्वामी सुंदरानंद कहते हैं कि उन्होंने छायाकार के रूप में हिमालय भ्रमण के दौरान प्रकृति में ईश्वर की तलाश की और उससे साक्षात्कार करने का एक प्रयासभर किया। यह अनुपम कलादीर्घा उसी ईश्वर को समर्पित है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि स्वामी सुंदरानंद ने एक ही जगह पर हिमालय के दिव्य दर्शन कराने का अनूठा और उल्लेखनीय कार्य किया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्वामी सुंदरानंद का संकलन आने वाली पीढ़ी के लिए एक अनूठी विश्व धरोहर है और उनकी 72 वर्ष की तपस्या का संग्रह विश्व को समर्पित हो गया है। इस कलादीर्घा की ट्रस्टी अमेरिका की डेबरा उर्फ दयामयी ने कहा कि वह साल 2003 में स्वामी सुंदरानंद से मिली थीं। तब से योग-ध्यान के जरिये उनसे एक आध्यात्मिक रिश्ता सा जुड़ गया और वे स्वामी जी के हिमालय के प्रति किए गए कार्यों से बेहद प्रभावित हुईं।