आरती सक्सेना
सवाल : अमित जी आप फिर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 10 के जरिए अपने प्रशंसकों और दर्शकों के साथ रूबरू होंगे। कैसा लग रहा है?
’बहुत खुशी हो रही है। केबीसी के दसवें संस्करण के जरिये मैं आप लोगों के सामने फिर उपस्थित हूं। मुझे इस शो के जरिए ऐसे साहसी लोगों से मिलने का अवसर मिला है जिनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला है। कौन बनेगा करोड़पति के जरिए मैंने जाना है कि हालात कोई भी हो, इंसान कितनी भी मुफलिसी या मुश्किल में हो, लेकिन अगर उसमें कुछ कर दिखाने का जुनून है और वह किसी तरह का ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता रखता है तो उसको कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर आने से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। ऐसे प्रतियोगियों से मिलकर मैं खुद भी बहुत प्रोत्साहित होता हूं। दसवां संस्करण पेश करते हुए मुझे खुशी है कि एक बार फिर ऐसे महान लोगों से मिलने का मौका मिलेगा जो आम इंसान होते हुए भी बहुत खास हैं।
सवाल : कहा जाता है कि कौन बनेगा करोड़पति बच्चन साहब के बगैर अधूरा है? इसकी सफलता का श्रेय आपको जाता है। इस बारे में आपका क्या कहना है?
’नहीं.. यह तो गलत बात है। इस शो की सफलता का श्रेय सिर्फ मेरे हिस्से आना तो नाइंसाफी है क्योंकि ये शो ही ऐसा है कि हर कोई इससे जुड़ना चाहता है। इस शो का फारमेट ही ऐसा है जो दर्शकों को अपनी तरफ खींचता है। 18 साल से यह शो इसलिए चल रहा है क्योंकि इसमें भाग लेने वाले चमत्कारी और प्रतिभावान प्रतियोगी और उन प्रतियोगियों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां हैं। साथ ही इस शो की पूरी टीम का भी पूरा योगदान है। यह टीम शो को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करती है।
सवाल :कौन बनेगा करोड़पति में आप शुरू से एकदम शुद्ध हिंदी में बोल रहे हैं। जबकि आज की युवा पीढ़ी का हिंदी का ज्ञान बहुत कमजोर है। ऐसे में शुद्ध हिंदी बोलना आपको कितना सही लगा?
’मैं मानता हूं कि आज की युवा पीढ़ी अंग्रेजी ज्यादा बोलती और पढ़ती है लेकिन अगर केबीसी के जरिए उनको थोड़ा बहुत हिंदी बोलना या समझना आ जाता है तो इसमें बुराई क्या है। अच्छा है इसी बहाने युवा पीढ़ी अपनी मातृभाषा सीख जाएगी।
सवाल : केबीसी 10 के नए संस्करण मे खास क्या है?
’वैसे तो शो का फॉरमेट जैसा है, वैसा ही रहता है लेकिन इस बार हमने शिक्षा की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस शो में ऐसे लोगों को शामिल किया है जो पीएचडी या बड़ी डिग्रियां हासिल कर चुके हैं। ऐसे लोगों के लिए हमने उनकी योग्यता के हिसाब से सवाल भी रखे हैं। और ऐसे अति बुद्धिमान लोगों को भी इस शो का हिस्सा बनाया है।
सवाल : आप 18 साल से केबीसी से जुड़े हुए हैं और 50 साल से भी ज्यादा अरसे से फिल्मों से। ऐसे में दोनों माध्यम में आपको क्या अंतर नजर आता है?
’फिल्मों में जब हम सेट पर पहचते हैं तो एक सहयोगी हमारा मेकअप करता है, दूसरा सीन समझाता है और तीसरा निर्देशन देता है। वहीं, टीवी पर हमें सब कुछ खुद करना होता है। हम जो बोलते हैं, अपनी मर्जी से बोलते हैं। हम अच्छा-बुरा तभी बोल पाते हैं जब हमारे सामने बैठा प्रतियोगी वैसा व्यवहार करता है। अगर वह अच्छा खेलता है तो हम भी सकारात्मक होकर और अच्छा बोलने लगते हैं और अगर वह निराश हो जाता है हम भी उसी तरह से हो जाते हैं। टीवी पर हमें सब कुछ खुद करना होता है जिसकी हमें पूरी आजादी होती है। यही फर्क है।
सवाल :आपकी पोती आराध्या को क्या केबीसी में दिलचस्पी है। क्या आपने कभी उनके साथ कौन बनेगा करोड़पति शैली में सवाल जवाब किए हैं?
’नहीं क्योंकि वो अभी बहुत छोटी हैं। उसका सामान्य ज्ञान भी उतना अच्छा नहीं है। फिर वह अपने स्कूल के काम में ही व्यस्त रहती है। हां, लेकिन उसको कौन बनेगा करोड़पति के बारे में पता है, उसको यह शो अच्छा लगता है।
सवाल : ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के दौरान जब हॉट सीट पर आकर प्रतियोगी बैठते हैं तो वे आपको और भव्य सेट को देख कर घबरा जाते हैं। ऐसे में आप प्रतियोगियों का विश्वास कैसे वापस लाते हैं?
’यह सच है कि कई सारे प्रतियोगी भव्य सेट पर आते हैं तो घबरा जाते हैं और सही जवाब आने के बावजूद वो घबराहट में अपना जवाब भूल जाते हैं। उस वक्त मैं उनसे यही कहता हूं कि आराम से सोच-समझ कर जवाब दें। मैं उनसे बात भी करता हूं ताकि वे सामान्य हो जाएं।
सवाल : केबीसी के जरिए अगर आपको सामाजिक समस्याओं के समाधान का मौका मिले तो आप कौन से मसले खत्म करना चाहेंगे?
’कई सारे ऐसे काम हैं जिन्हें किया जा सकता है। जैसे स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पोलियो का टीका आदि। समाज को इन सब बातों के लिए जागरूक होना जरूरी है। कुछ लोगों की सोच है कि लड़की को पढ़ा के क्या फायदा। ऐसी ही एक लड़की केबीसी में आई थी। जिसने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की। उसके बाद उसके पिता ने उसकी पढ़ाई छुड़ा दी। लिहाजा उस लड़की ने अपने आप पढ़ाई की और केबीसी की हॉट सीट पर बैठी और आप यकीन नहीं करेंगे वह अपनी कुशाग्र बुद्धि के दम पर 25 लाख रुपए जीत कर गई। ऐेसे लोग मुझे बहुत ज्यादा प्रोत्साहित करते हैं।