अब नई कृत्रिम मेधा (एआइ) चैटबोट्स जैसे लोगों के सवालों का आनलाइन जवाब देने वाली चैटजीपीटी के आने के बाद उसके सामने अपनी बादशाहत खोने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
गूगल अपना एआइ उत्पाद विकसित कर इसका मुकाबला कर रहा है लेकिन चैटबाट- बर्द ने बहुत शानदार शुरुआत नहीं की। इस महीने गूगल के विज्ञापन ने दिखाया कि बर्द ने जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन के बारे में गलत जानकारी दी। वेबसाइट की दुनिया में सबसे लोकप्रिय होने के साथ प्रतिष्ठा भी है और अतुलनीय विज्ञापन राजस्व मिलता है। लेकिन हाल में प्रौद्योगिकी में आए बदलाव ने गूगल जैसे किरादारों के लिए अनिश्चितता पैदा की है।
विज्ञापन राजस्व जिसने गूगल की सफलता में सबसे अधिक मदद की, अब उतना सशक्त नहीं रहा। अगर चैटजीपीटी जैसे एआइ चैटबाट विज्ञापन राजस्व पर कब्जा करने लगे तो यह विज्ञापन के मामले में गूगल के शीर्ष सर्च इंजन के ओहदे को हिला सकते हैं। गूगल पर निर्भर रहने वाले लोग अकसर सवाल नहीं करते और ऐसा होता है कि वह गूगल के पहले सर्च पन्ने से आगे नहीं जाते। लेकिन एआइ के नए मंच के उदय से सामने आया है कि खोज कुछ वेबसाइटों की लिंक तक सीमित नहीं है। चैटबाट वार्तालाप के स्वरूप में यह कार्य कर सकती है।
ऐसे एआइ को लेकर चिंताएं जताई जाने लगी हैं। चिंताएं हैं कि इससे साहित्य चोरी हो सकती है या इससे भी अधिक नौकरियां जा सकती है और वकील, पत्रकार जैसे पेशेवरों की आय घट सकती है। भाषा विज्ञानी और कार्यकर्ता नोम चोमेस्की ने चैटजीपीटी जैसे एआइ टूल को पढ़ने से बचने का तरीका करार दिया है। उन्होंने कहा कि गूगल का अभिप्राय है कि हमें ज्ञान को याद करने की जरूरत नहीं है, हम उनकी तलाश कर सकते हैं। अब एआइ से समस्या यह है कि क्या हम उस सवाल के उत्तर के बारे में भी सोचेंगे जो अनुत्तरित रहा है।
एक समय लोकप्रिय रहे सर्च इंजन आस्क जीविस, लिकोज और एक्साइट इंटरनेट पर बस नाम भर को रह गए क्योंकि गूगल ‘सर्च’ का पर्याय बन गया। वर्ष 2000 में सबसे लोकप्रिय याहू से समझौते के तहत वेबसाइट से गूगल को स्वत: सर्च इंजन के तौर पर पेश किया गया और सर्च इंजन का अंतरराष्ट्रीय दर्जा सुनिश्चित हुआ।
अन्य वेबसाइट का मार्ग बनने का एक बड़ा फायदा हुआ कि वह नए इंटनेट आधारित विज्ञापन राजस्व का लाभ ले सका। प्रत्येक गूगल सर्च नतीजों के साथ प्रायोजित सामग्री दिखती है जिससे कंपनी को बढ़ने और आज के मुकाम पर पहुंचने का मौका मिला। गूगल का सालाना राजस्व साल दर साल बढ़ता रहा क्योंकि दो दशक पहले उसने सर्च में महारत हासिल की और खुद को अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर साबित किया। गूगल की अपनी सेवाओं को सारगर्भित रूप से विज्ञापन से होने वाली आय के साथ समन्वित करने की वजह से वह माइक्रोसाफ्ट जैसे अपने प्रतिद्वंद्वियों को दूर रखने में सफल रहा।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी कंपनी या उत्पाद वेब सर्च पर नजर आए तो गूगल वह स्थान हो सकता है। कंपनी ने विज्ञापन से होने वाली आय का इस्तेमाल वृहद पैमाने पर आधारभूत संरचना विकसित करने में लगाया ताकि अरबों सर्च के दौरान पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दिया जा सके और साथ ही गूगल मेल, ड्राइव जैसे लोकप्रिय क्लाउड आधारित टूल्स की मेजबानी की जा सके। उसने यू ट्यूब जैसे मंच का अधिग्रहण भी किया। विज्ञापन राजस्व को बढ़ाने में वीडियो साझा करने के मंच लाभकारी निवेश साबित हुआ।
गूगल की बड़ी हिस्सेदारी का अभिप्राय है कि उसका प्रभुत्व बना रहेगा लेकिन विज्ञापन से होने वाली आय एआइ मंचों पर जाने के बाद जो प्रायोजित सामग्री के साथ सर्च के नतीजे दिखाएंगे तो यह उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
समस्याएं क्या हैं
इस बात पर खुली बहस चल रही है कि चैटजीपीटी जैसे नए खिलाड़ी गूगल की तरह सवालों को किस हद तक संभाल पाएंगे। अब तक के सबूत हैं कि वे नहीं संभाल सकते, क्योंकि चैटजीपीटी के सामने इस साल कई समस्याएं सामने आ चुकी है और अधिक मांग होने पर वह नए उपयोगकर्ताओं को स्वीकार नहीं कर पा रही थी या उनके सवालों का जवाब नहीं दे पा रही थी।
चैटजीपीटी वह मंच है जिसपर मीडिया की सबसे अधिक नजर गई है। हालांकि, वह प्रतिद्वंद्वी बिंग की तरह खुद को स्थापित कर सकती है जिससे अंतत: गूगल का सिरदर्द बढ़ेगा। बिंग वैश्विक स्तर पर गूगल और बैदू के बाद तीसरा बड़ा सर्च इंजन है।