अपने क्रिकेट करियर की कुछ कसक उनके दिल में है लेकिन लक्ष्मी रतन शुक्ला इन सभी को भूलना चाहते हैं और अब अपनी नई पारी पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं जो वह ममता बनर्जी के नव गठित मंत्रिमंडल में सबसे युवा मंत्री बनकर राजनीतिक पिच पर खेलेंगे। अपने 35वें जन्मदिन से तीन सप्ताह बाद ही बंगाल के पूर्व कप्तान और भारत की तरफ से तीन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले शुक्ला क्रिकेट की अपनी सफेद पोशाक के बजाय सफेद कुर्ता पायजामा बनने वाले व्यक्ति बन गये।
बंगाल के लिये इस सत्र में भी खेलने वाले शुक्ला ने सत्र के शुरू में कप्तानी छोड़ दी थी और फिर संन्यास भी ले लिया था। असल में जब वह कैब लीग में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे तब बनर्जी ने उनसे कहा कि उन्हें हावड़ा से चुनाव लड़ना चाहिए। शुक्ला ने कहा, ‘आज से मैं बीती बातों को भुलाना चाहता हूं।
किन वजहों से मुझे संन्यास लेना पड़ा और भारत की तरफ से मैं तीन वनडे से अधिक मैच क्यों नहीं खेल पाया और 1999 के बाद मेरी राष्ट्रीय टीम में क्यों वापसी नहीं हुई। मैदान पर मेरे दिल में कुछ कसक रही होगी लेकिन मैदान से इतर अपनी दूसरी पारी मैं नये सिरे से शुरू करके लोगों के कल्याण के लिये काम कर रहा हूं।’
ईडन गार्डन्स की पिच से शुक्ला ने बंगाल का दिग्गज खिलाड़ी बनाया लेकिन अब वह नबाना (सरकारी मुख्यालय) में चले गये हैं और इसलिए उत्तरी हावड़ा के लोगों ने उन्हें जिस तरह बड़े अंतर से जिताया उसके साथ पूरा न्याय करना चाहते हैं।